Tughlaq dynasty
jp Singh
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तुगलक वंश 1320 से 1414 ईस्वी
तुगलक वंश 1320 से 1414 ईस्वी
तुगलक वंश मध्यकालीन भारत का एक प्रमुख राजवंश था, जिसने दिल्ली सल्तनत पर 1320 से 1414 ईस्वी तक शासन किया। यह वंश तुर्क-भारतीय मूल का था और इसने दिल्ली सल्तनत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस वंश की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की थी, और इसका अंत नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में तैमूर के आक्रमण के बाद हुआ। इस लेख में तुगलक वंश के इतिहास, शासकों, उनकी नीतियों, उपलब्धियों और पतन का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है।
तुगलक वंश की स्थापना और पृष्ठभूमि
तुगलक वंश की स्थापना 1320 ईस्वी में गयासुद्दीन तुगलक, जिनका वास्तविक नाम गाजी मलिक था, ने की थी। गाजी मलिक ने खिलजी वंश के अंतिम शासक नासिरुद्दीन खुसरो शाह को हराकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया। यह वंश दिल्ली सल्तनत का तीसरा प्रमुख राजवंश था, जिसने खिलजी वंश के बाद शासन किया। तुगलक वंश ने लगभग 94 वर्षों तक शासन किया और इस दौरान दिल्ली सल्तनत का सबसे अधिक भौगोलिक विस्तार देखने को मिला।
प्रमुख शासक और उनकी नीतियाँ
तुगलक वंश के तीन सबसे महत्वपूर्ण शासक थे: गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोज शाह तुगलक। इनके शासनकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियाँ और सुधार लागू किए गए, जो निम्नलिखित हैं:
प्रमुख शासक और उनकी नीतियाँ
तुगलक वंश के तीन सबसे महत्वपूर्ण शासक थे: गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोज शाह तुगलक। इनके शासनकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियाँ और सुधार लागू किए गए, जो निम्नलिखित हैं:
1. गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ईस्वी)
स्थापना और शुरुआत: गयासुद्दीन तुगलक ने 1320 ईस्वी में तुगलक वंश की नींव रखी। वह एक शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी शासक था, जिसने मंगोल आक्रमणों को 29 बार विफल किया, जिसके कारण उसे
प्रमुख कार्य:
तुगलकाबाद की स्थापना: गयासुद्दीन ने दिल्ली में तुगलकाबाद शहर और किले की स्थापना की, जिसे उसने अपनी राजधानी बनाया।
सिंचाई और कृषि सुधार: वह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने सिंचाई के लिए कुओं और नहरों का निर्माण करवाया। उसने भू-राजस्व को उपज का 1/10 या 1/11 हिस्सा निर्धारित किया, जो अलाउद्दीन खिलजी के 50% की तुलना में उदार था।
आर्थिक और प्रशासनिक सुधार: उसने अलाउद्दीन खिलजी की कठोर नीतियों के विपरीत मध्यमार्गी नीति (रस्म-ए-मियान) अपनाई। उसने मध्यवर्ती जमींदारों को उनके पुराने अधिकार लौटाए और डाक व्यवस्था को सुदृढ़ किया।
सैन्य अभियान: गयासुद्दीन ने बंगाल, उत्कल (उड़ीसा), और वारंगल पर विजय प्राप्त की। उसने अपने पुत्र जौना खान (बाद में मुहम्मद बिन तुगलक) को तेलंगाना के काकतीय वंश के खिलाफ अभियान पर भेजा, जिसके परिणामस्वरूप वारंगल को सल्तनत में मिला लिया गया और इसका नाम सुल्तानपुर रखा गया।
मृत्यु: 1325 ईस्वी में बंगाल अभियान से लौटते समय तुगलकाबाद के पास अफगानपुर में एक लकड़ी के महल के ढहने से गयासुद्दीन की मृत्यु हो गई। इतिहासकार इब्न बतूता के अनुसार, यह एक षड्यंत्र था, जिसमें उनके पुत्र जौना खान का हाथ था।
2. मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ईस्वी)
परिचय: मुहम्मद बिन तुगलक, जिनका मूल नाम उलूग खान था, एक विद्वान और बुद्धिजीवी शासक थे, जिन्हें कुरान, फिक्ह और कविता का गहरा ज्ञान था। उनके शासनकाल में दिल्ली सल्तनत का भौगोलिक विस्तार अपने चरम पर था, लेकिन उनकी सनक भरी योजनाओं और कठोर नीतियों ने साम्राज्य को अस्थिर कर दिया।
प्रमुख नीतियाँ और योजनाएँ
राजधानी परिवर्तन: मुहम्मद बिन तुगलक ने 1326 ईस्वी में दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरी) को अपनी राजधानी बनाया ताकि दक्कन क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके और मंगोल आक्रमणों से बचा जा सके। इस दौरान लोगों को जबरन दौलताबाद स्थानांतरित किया गया, जिससे व्यापक असंतोष फैला। बाद में 1335 ईस्वी में राजधानी पुनः दिल्ली लौटाई गई।
सांकेतिक मुद्रा: 1329 ईस्वी में, उन्होंने पीतल और तांबे के सिक्कों को चांदी के सिक्कों के समान मूल्य पर प्रचलन में लाने की कोशिश की। यह योजना विफल रही क्योंकि लोग नकली सिक्के बनाने लगे, जिससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ी।
कृषि और कर सुधार: उन्होंने दोआब क्षेत्र में भू-राजस्व में वृद्धि की, लेकिन अकाल के कारण किसान कर नहीं चुका सके, जिससे विद्रोह हुए। उन्होंने कृषि विकास के लिए दीवान-ए-कोही विभाग की स्थापना की, लेकिन यह योजना भी अनुभवहीन और बेईमान अधिकारियों के कारण असफल रही।
सैन्य अभियान: उनके शासनकाल में मालवा, गुजरात, तिलंग, लखनौती, और तिरहुत जैसे क्षेत्रों पर हमले किए गए, लेकिन ये अभियान महंगे और असफल रहे। खुरासान और करचिल के अभियान भी विफल हुए।
विवादास्पद व्यक्तित्व: मुहम्मद बिन तुगलक को इतिहासकारों ने
मृत्यु: 1351 ईस्वी में उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद फिरोज शाह तुगलक सुल्तान बने।
3. फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ईस्वी)
परिचय: फिरोज शाह तुगलक को एक दयालु और जनकल्याणकारी शासक माना जाता है। वह शारीरिक रूप से कमजोर था, लेकिन उसने बुनियादी ढांचे और जनकल्याण के कार्यों पर ध्यान दिया।
प्रमुख कार्य
सिंचाई और बुनियादी ढांचा: फिरोज शाह ने यमुना-घग्गर और यमुना-सतलज नदियों को जोड़ने वाली नहरों का निर्माण करवाया, जो 19वीं शताब्दी तक उपयोग में रहीं। उन्हें
वास्तुकला: फिरोज शाह ने इंडो-इस्लामिक वास्तुकला को बढ़ावा दिया। उन्होंने फिरोजशाह कोटला किला, मस्जिदें, और मदरसे बनवाए। अशोक के दो स्तंभों को टोपरा और मेरठ से दिल्ली लाकर स्थापित किया।
दास प्रणाली: उनके शासनकाल में दासों की संख्या 1,80,000 तक पहुंच गई थी। उन्होंने दासों की देखभाल के लिए दीवान-ए-बंदगान विभाग की स्थापना की।
सैन्य और प्रशासनिक सुधार: फिरोज ने सैन्य पदों को वंशानुगत बनाया और सैनिकों को नकद भुगतान के बजाय भू-राजस्व वसूली का अधिकार दिया, जिससे दीर्घकालिक कमजोरियाँ उत्पन्न हुईं।
आत्मकथा: फिरोज ने अपनी आत्मकथा
धार्मिक नीति: फिरोज ने गैर-मुस्लिमों पर जजिया कर लगाया और हिंदू मंदिरों के पुनर्निर्माण को प्रतिबंधित किया। उन्होंने ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से 1300 ग्रंथों को फारसी में अनुवाद करवाया, जिन्हें
मृत्यु: 1388 ईस्वी में फिरोज शाह की मृत्यु के बाद तुगलक वंश कमजोर हो गया। उनका मकबरा दिल्ली के हौज खास में स्थित है।
अन्य शासक
फिरोज शाह के बाद तुगलक वंश में कई कमजोर शासक हुए, जिनमें गयासुद्दीन तुगलक शाह II, अबू बकर शाह, और नासिरुद्दीन महमूद शामिल थे। नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ईस्वी) तुगलक वंश का अंतिम शासक था। उनके शासनकाल में तैमूर का आक्रमण (1398 ईस्वी) हुआ, जिसने दिल्ली को लूटा और तुगलक वंश को समाप्त कर दिया।
तैमूर का आक्रमण और तुगलक वंश का पतन
1398 ईस्वी में तैमूर लंग ने दिल्ली पर आक्रमण किया। उसने दिल्ली को लूटा, हजारों लोगों का कत्ल किया, और तुगलक वंश की सत्ता को पूरी तरह नष्ट कर दिया। तैमूर ने खिज्र खान को दिल्ली का राज्यपाल नियुक्त किया, जिसने बाद में सैय्यद वंश की स्थापना की। तैमूर के आक्रमण को तुगलक वंश के पतन का प्रमुख कारण माना जाता है।
तुगलक वंश की उपलब्धियाँ
सिंचाई और कृषि: गयासुद्दीन और फिरोज शाह ने नहरों और कुओं का निर्माण करवाया, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ा।
वास्तुकला: तुगलकाबाद किला, फिरोजश-stranded:10⁊शाह कोटला, और अन्य इमारतें इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
प्रशासनिक सुधार: गयासुद्दीन ने डाक व्यवस्था को सुदृढ़ किया और भू-राजस्व में कमी की।
सांस्कृतिक योगदान: फिरोज शाह ने विद्वानों और सूफी संतों को संरक्षण दिया।
तुगलक वंश का पतन
फिरोज शाह की मृत्यु के बाद वंशानुगत उत्तराधिकार के विवाद और आंतरिक गृहयुद्धों ने वंश को कमजोर कर दिया। तैमूर के आक्रमण ने तुगलक वंश को अंतिम झटका दिया। 1414 ईस्वी तक तुगलक वंश पूरी तरह समाप्त हो गया, और सैय्यद वंश ने सत्ता संभाली।
Conclusion
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