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Aramshah (1210-1211)
jp Singh 2025-05-23 14:26:19
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आरामशाह (1210-1211)

आरामशाह (1210-1211)
आरामशाह (1210-1211 ई.) दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश का दूसरा सुल्तान था, जिसने कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली। उनका शासनकाल बहुत ही संक्षिप्त और अस्थिर रहा, जो लगभग छह से आठ महीने तक चला। उनके शासन और व्यक्तित्व के बारे में ऐतिहासिक स्रोतों में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, और उनकी पहचान को लेकर भी विवाद बना हुआ है। नीचे आरामशाह के इतिहास का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. पृष्ठभूमि और सत्ता में आगमन
कुतुबुद्दीन ऐबक, जो दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के संस्थापक थे, की 1210 ई. में लाहौर में पोलो खेलते समय अचानक मृत्यु हो गई। ऐबक ने अपने जीवनकाल में कोई उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं किया था, जिसके कारण सत्ता हस्तांतरण को लेकर संकट उत्पन्न हो गया। लाहौर के तुर्क अमीरों और सरदारों ने जल्दबाजी में आरामशाह को सुल्तान घोषित कर दिया।
आरामशाह को कुतुबुद्दीन ऐबक का पुत्र माना जाता है, लेकिन इस संबंध में इतिहासकारों के बीच मतभेद हैं। कुछ स्रोत, जैसे मिनहाज-उस-सिराज की तबकात-ए-नासिरी, में उनके नाम के साथ
2. शासनकाल और चुनौतियाँ
आरामशाह का शासनकाल अत्यंत अस्थिर और संकटग्रस्त रहा। उनके सुल्तान बनने के कई कारणों ने सल्तनत में अराजकता को बढ़ावा दिया:
अयोग्यता: ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, आरामशाह में सुल्तान बनने के लिए आवश्यक नेतृत्व गुणों का अभाव था। वह न तो सैन्य दृष्टि से कुशल था और न ही प्रशासनिक रूप से सक्षम।
विरोध और विद्रोह: आरामशाह के गद्दी पर बैठते ही सल्तनत के कई हिस्सों में विद्रोह शुरू हो गए। कुछ तुर्क अमीरों और मलिकों ने उनकी सत्ता को स्वीकार नहीं किया। उदाहरण के लिए, सिंध में कुबाचा ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी, और बंगाल में खलजी मलिकों ने विद्रोह कर दिया।
आंतरिक अस्थिरता: कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत पहले से ही कमजोर थी। आरामशाह इस स्थिति को संभालने में असमर्थ रहे, जिसके कारण देश में गृहयुद्ध का खतरा बढ़ गया।
3. इल्तुतमिश का उदय और आरामशाह का पतन
आरामशाह की अयोग्यता और बढ़ती अस्थिरता के कारण दिल्ली के नागरिकों और कुछ तुर्क अमीरों ने बदायूँ के गवर्नर और कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश को दिल्ली में सत्ता संभालने के लिए आमंत्रित किया। इल्तुतमिश एक कुशल और योग्य प्रशासक थे, जिन्हें ऐबक ने अपनी पुत्री से विवाह करके बदायूँ की जागीर दी थी।
1211 ई. में दिल्ली के निकट जड़ (Jud) या बागपत के मैदान में इल्तुतमिश और आरामशाह के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में आरामशाह पराजित हुआ। कुछ स्रोतों के अनुसार, उसे कैद कर लिया गया और संभवतः उसकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार, आरामशाह का शासनकाल समाप्त हो गया, और इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
4. शासनकाल की अवधि और उपलब्धियाँ
अवधि: विभिन्न स्रोतों के अनुसार, आरामशाह का शासनकाल छह से आठ महीने तक रहा। कुछ स्रोत इसे 1210 ई. से 1211 ई. की शुरुआत तक मानते हैं।
उपलब्धियाँ: आरामशाह के शासनकाल में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज नहीं है। उनके शासन का अधिकांश समय आंतरिक विद्रोह और अस्थिरता को दबाने में बीता। कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने अपने नाम की मुद्राएँ चलाईं और
5. ऐतिहासिक विवाद और महत्व
पहचान का विवाद: आरामशाह की पहचान और कुतुबुद्दीन ऐबक से उनका संबंध एक विवादास्पद विषय है। इतिहासकार अबुल फजल और अब्दुल्ला वस्साफ जैसे लेखकों ने संकेत दिया है कि आरामशाह ऐबक का पुत्र नहीं था, बल्कि लाहौर के अमीरों द्वारा शांति बनाए रखने के लिए चुना गया एक व्यक्ति था।
ऐतिहासिक महत्व: आरामशाह का शासनकाल दिल्ली सल्तनत के इतिहास में एक संक्षिप्त और अस्थिर कड़ी के रूप में देखा जाता है। उनका शासन इस बात का प्रतीक है कि गुलाम वंश की शुरुआत में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया कितनी अनिश्चित थी। उनके पतन ने इल्तुतमिश जैसे सक्षम शासक के उदय का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने दिल्ली सल्तनत को मजबूती प्रदान की।
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