Delhi Sultanate (1206-1526 A.D.)
jp Singh
2025-05-23 13:50:59
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.)
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.)
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) भारत के मध्यकालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसने उत्तरी भारत में लगभग 320 वर्षों तक शासन किया। यह पांच प्रमुख वंशों गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश के अधीन रही। दिल्ली सल्तनत ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन की नींव रखी और भारतीय संस्कृति, प्रशासन, कला और वास्तुकला पर गहरा प्रभाव डाला। नीचे इसका विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. स्थापना और गुलाम वंश (1206-1290)
स्थापना: दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ई. में मुहम्मद गोरी के तुर्क दास कुतुबुद्दीन ऐबक ने की। गोरी की मृत्यु (1206) के बाद ऐबक ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया और गुलाम वंश की नींव रखी।
प्रमुख शासक:
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210): इसे दिल्ली सल्तनत का संस्थापक माना जाता है। उसने दिल्ली में कुतुब मीनार की नींव रखी, जिसे बाद में इल्तुतमिश ने पूरा किया।
इल्तुतमिश (1211-1236): वह सल्तनत का वास्तविक संगठक था। उसने सल्तनत को संगठित किया, चांदी का टका और तांबे का जीतल चलाया, और दिल्ली को एक मजबूत राजधानी बनाया। उसने मंगोल आक्रमणों का भी सामना किया।
रजिया सुल्तान (1236-1240): भारत की पहली महिला शासक। उसने पुरुष वेश में शासन किया, लेकिन तुर्की अमीरों के विरोध के कारण उसका शासन अल्पकालिक रहा।
बलबन (1266-1287): उसने सल्तनत को सुदृढ़ किया, मंगोल आक्रमणों को रोका, और
विशेषताएँ: गुलाम वंश ने दिल्ली को इस्लामी शासन का केंद्र बनाया। इस दौर में तुर्की सैन्य संगठन, इक्ता प्रणाली (जागीर प्रणाली), और इस्लामी प्रशासन की नींव रखी गई।
2. खिलजी वंश (1290-1320)
स्थापना: जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 में गुलाम वंश का अंत कर खिलजी वंश की स्थापना की।
प्रमुख शासक:
जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296): वह एक उदार शासक था, लेकिन उसकी नरम नीतियों के कारण उसका भतीजा अलाउद्दीन खिलजी ने उसकी हत्या कर सत्ता हथिया ली।
अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316): खिलजी वंश का सबसे शक्तिशाली शासक। उसने दक्षिण भारत (देवगिरी, वारंगल, होयसल, पांड्य) पर विजय अभियान चलाए और मंगोल आक्रमणों को रोका। उसकी प्रमुख नीतियाँ:
बाजार नियंत्रण: दिल्ली में अनाज, कपड़ा आदि की कीमतें नियंत्रित कीं।
सैन्य सुधार: स्थायी सेना की स्थापना, सैनिकों को नकद वेतन, और घोड़ों पर दागने की प्रथा शुरू की।
कर व्यवस्था:
मलिक काफूर: अलाउद्दीन का सेनापति, जिसने दक्षिण भारत में कई विजय प्राप्त कीं।
विशेषताएँ: खिलजी वंश ने सल्तनत का विस्तार दक्षिण भारत तक किया और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से केंद्रीकृत शासन को मजबूत किया।
3. तुगलक वंश (1320-1413)
स्थापना: गियासुद्दीन तुगलक ने 1320 में खिलजी वंश का अंत कर तुगलक वंश की स्थापना की।
प्रमुख शासक:
गियासुद्दीन तुगलक (1320-1325): उसने सल्तनत को स्थिर किया और बंगाल व दक्षिण में अभियान चलाए।
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351): वह एक विद्वान लेकिन विवादास्पद शासक था। उसकी योजनाएँ (जैसे राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरण, सांकेतिक मुद्रा, और कर वृद्धि) असफल रहीं, जिससे विद्रोह बढ़े।
फिरोज शाह तुगलक (1351-1388): उसने जनकल्याणकारी कार्य किए, जैसे नहरों का निर्माण, दिल्ली में कोटला फिरोज शाह और हिसार की स्थापना। लेकिन उसकी उदार नीतियों और जजिया को सख्ती से लागू करने से असंतोष बढ़ा।
विशेषताएँ: तुगलक वंश ने सल्तनत का विस्तार किया, लेकिन मुहम्मद बिन तुगलक की असफल नीतियों और फिरोज की कमजोर शासन व्यवस्था ने सल्तनत को कमजोर किया।
4. सैयद वंश (1414-1451)
स्थापना: तैमूर के आक्रमण (1398) के बाद सल्तनत कमजोर हुई। खिज्र खान ने 1414 में सैयद वंश की स्थापना की, जो तैमूर के प्रतिनिधि के रूप में शासन करता था।
विशेषताएँ: यह एक कमजोर वंश था, जिसका शासन केवल दिल्ली और आसपास तक सीमित रहा। इस दौरान क्षेत्रीय शक्तियों (जैसे जौनपुर, मालवा, गुजरात) का उदय हुआ।
5. लोदी वंश (1451-1526)
स्थापना: बहलोल लोदी ने 1451 में सैयद वंश का अंत कर लोदी वंश की स्थापना की।
प्रमुख शासक:
बहलोल लोदी (1451-1489): उसने सल्तनत को पुनर्जनन दिया और जौनपुर पर कब्जा किया।
सिकंदर लोदी (1489-1517): वह एक कुशल शासक था। उसने आगरा को अपनी राजधानी बनाया और प्रशासनिक सुधार किए।
इब्राहिम लोदी (1517-1526): उसका शासन कमजोर था। उसकी हठधर्मिता के कारण राणा सांगा और बाबर जैसे शक्तिशाली शत्रु बने। 1526 में प्रथम पानीपत के युद्ध में बाबर ने उसे हराकर दिल्ली सल्तनत का अंत किया।
विशेषताएँ: लोदी वंश पहला अफगान वंश था। इसने सल्तनत को कुछ हद तक स्थिर किया, लेकिन आंतरिक विद्रोह और बाहरी आक्रमणों के कारण इसका पतन हुआ।
दिल्ली सल्तनत की विशेषताएँ
1. प्रशासन
सल्तनत का शासन केंद्रीकृत था, जिसमें सुल्तान सर्वोच्च शक्ति था।
इक्ता प्रणाली: भूमि को इक्ता के रूप में सैन्य अधिकारियों को दिया जाता था।
दीवान-ए-विजारत (वित्त), दीवान-ए-रिसालत (विदेशी मामले), और दीवान-ए-आरिज (सेना) जैसे विभाग स्थापित किए गए।
2. समाज और संस्कृति
हिंदू-मुस्लिम संस्कृतियों का मिश्रण हुआ, जिससे सूफी और भक्ति आंदोलनों को बढ़ावा मिला।
उर्दू भाषा का विकास शुरू हुआ।
3. कला और वास्तुकला
कुतुब मीनार, अलाई दरवाजा, तुगलकाबाद, और फिरोज शाह कोटला जैसे स्मारक बनाए गए।
इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का विकास हुआ, जिसमें मेहराब, गुंबद, और मीनारें प्रमुख थीं।
4. अर्थव्यवस्था
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था थी। भूमि कर (खराज) मुख्य आय का स्रोत था।
व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिला, खासकर खिलजी और तुगलक काल में।
पतन के कारण
कमजोर उत्तराधिकारी और आंतरिक कलह।
मंगोल और तैमूर के आक्रमण।
क्षेत्रीय शक्तियों (जैसे गुजरात, मालवा, बंगाल) का उदय।
बाबर का आक्रमण और प्रथम पानीपत का युद्ध (1526)।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781