Nedunjeliyan (2nd century AD)
jp Singh
2025-05-22 16:52:15
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नेदुन्जेलियन (लगभग दूसरी शताब्दी ईस्वी)
नेदुन्जेलियन (लगभग दूसरी शताब्दी ईस्वी)
नेदुन्जेलियन (लगभग दूसरी शताब्दी ईस्वी)
नेदुन्जेलियन (लगभग दूसरी शताब्दी ईस्वी) प्रारंभिक चोल वंश के एक प्रसिद्ध शासक थे, जिनका उल्लेख तमिल संगम साहित्य में एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राजा के रूप में मिलता है। वे चोल वंश के उन शुरुआती शासकों में से थे, जिन्होंने दक्षिण भारत में चोल साम्राज्य की सैन्य और सांस्कृतिक शक्ति को बढ़ाया। नेदुन्जेलियन को विशेष रूप से उनकी सैन्य विजयों और तमिल संस्कृति को समृद्ध करने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी राजधानी उरैयूर थी, और पुहार (कावेरीपट्टनम) उनके शासनकाल में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था।
1. सैन्य उपलब्धियाँ:
नेदुन्जेलियन को संगम साहित्य में एक वीर योद्धा के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्होंने चेर और पांड्य जैसे पड़ोसी राजवंशों के खिलाफ युद्ध लड़े।
उनकी सबसे प्रसिद्ध सैन्य उपलब्धि तलैया लंगनम का युद्ध है, जिसमें उन्होंने चेर और पांड्य शासकों के गठबंधन को पराजित किया। इस युद्ध में उनकी जीत ने चोल वंश की प्रतिष्ठा को दक्षिण भारत में मजबूत किया।
संगम साहित्य में उनके सैन्य अभियानों का उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कई छोटे-मोटे शासकों को अपने अधीन किया और चोल क्षेत्र का विस्तार किया।
कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने श्रीलंका के कुछ हिस्सों पर भी प्रभाव बनाए रखा, जो चोलों की समुद्री शक्ति का प्रारंभिक संकेत है।
2. सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान:
नेदुन्जेलियन के शासनकाल में संगम साहित्य का विकास चरम पर था। उनके दरबार में कवियों, विद्वानों, और कलाकारों को संरक्षण प्राप्त था, जिसने तमिल साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया।
पुरनानूरु और अकनानूरु जैसे संगम ग्रंथों में उनके शासनकाल की प्रशंसा की गई है। इन ग्रंथों में उनके युद्ध कौशल, उदारता, और कवियों के प्रति उनके संरक्षण का वर्णन है।
उनके समय में पुहार (कावेरीपट्टनम) एक समृद्ध बंदरगाह था, जो रोम, ग्रीस, और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार करता था। पट्टिनप्पालै में पुहार की समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव का उल्लेख मिलता है।
3. आर्थिक और प्रशासनिक योगदान:
नेदुन्जेलियन के शासनकाल में चोल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था व्यापार और कृषि पर आधारित थी। पुहार एक प्रमुख समुद्री व्यापार केंद्र था, जो चोलों की समृद्धि का आधार बना।
संगम साहित्य में उनके प्रशासन को संगठित और जनकल्याणकारी बताया गया है। स्थानीय सभाएँ (मनरम) उनके शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
कावेरी नदी के किनारे विकसित कृषि और सिंचाई प्रणालियों ने उनके शासनकाल में क्षेत्र की समृद्धि को बढ़ाया।
4. धार्मिक योगदान:
नेदुन्जेलियन ने वैदिक धर्म, जैन, और बौद्ध धर्मों को संरक्षण प्रदान किया, जो उस समय तमिल समाज में प्रचलित थे। संगम साहित्य में उनके दरबार में विभिन्न धार्मिक परंपराओं के विद्वानों का उल्लेख है। उनके शासनकाल में धार्मिक उत्सव, यज्ञ, और सांस्कृतिक गतिविधियाँ आम थीं, जो तमिल समाज की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाती हैं।
5. विरासत और किंवदंतियाँ:
नेदुन्जेलियन को संगम साहित्य में एक उदार, न्यायप्रिय, और शक्तिशाली शासक के रूप में चित्रित किया गया है। उनकी वीरता और युद्ध कौशल की कहानियाँ तमिल परंपरा में लोकप्रिय रहीं।
उनके शासनकाल ने चोल वंश की सांस्कृतिक और सैन्य नींव को मजबूत किया, जिसका प्रभाव बाद के शासकों, जैसे करिकाल चोल, के समय में भी देखा गया।
उनकी मृत्यु के बाद चोल वंश की शक्ति कुछ समय तक बनी रही, लेकिन तीसरी शताब्दी ईस्वी के बाद कलभ्र विद्रोह के कारण प्रारंभिक चोलों का प्रभाव कम हुआ।
संगम साहित्य में उल्लेख:
पुरनानूरु: इस ग्रंथ में नेदुन्जेलियन की सैन्य विजयों, विशेष रूप से तलैया लंगनम के युद्ध, और उनकी उदारता की प्रशंसा की गई है।
अकनानूरु: इस काव्य में उनके शासनकाल के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का वर्णन है।
पट्टिनप्पालै: यह ग्रंथ पुहार की समृद्धि और नेदुन्जेलियन के शासनकाल के वैभव को दर्शाता है।
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