Recent Blogs

Mahendravarman II 668-672 AD
jp Singh 2025-05-22 16:06:17
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

महेंद्रवर्मन द्वितीय (लगभग 668-672 ईस्वी)

महेंद्रवर्मन द्वितीय (लगभग 668-672 ईस्वी)
महेंद्रवर्मन द्वितीय (लगभग 668-672 ईस्वी)
महेंद्रवर्मन द्वितीय (लगभग 668-672 ईस्वी)
महेंद्रवर्मन द्वितीय (लगभग 668-672 ईस्वी) पल्लव वंश के शासक थे और नरसिंहवर्मन प्रथम के पुत्र थे। उनका शासनकाल अपेक्षाकृत संक्षिप्त रहा और इसे पल्लव वंश के इतिहास में एक संक्रमणकालीन काल के रूप में देखा जाता है। महेंद्रवर्मन द्वितीय का शासनकाल चालुक्यों के साथ निरंतर संघर्ष और पल्लव साम्राज्य की स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों से चिह्नित था। हालाँकि, उनके शासनकाल के बारे में जानकारी सीमित है, और वे अपने पिता नरसिंहवर्मन प्रथम की तरह व्यापक सांस्कृतिक या स्थापत्य योगदान के लिए उतने प्रसिद्ध नहीं हैं।
1. शासनकाल और सैन्य स्थिति:
महेंद्रवर्मन द्वितीय ने अपने पिता नरसिंहवर्मन प्रथम की मृत्यु के बाद शासन संभाला। उनका शासनकाल लगभग चार वर्षों तक रहा। इस दौरान पल्लव वंश का चालुक्य वंश के साथ संघर्ष जारी रहा। चालुक्य शासक विक्रमादित्य प्रथम ने अपने पिता पुलकेशिन द्वितीय की हार का बदला लेने के लिए पल्लव क्षेत्रों पर आक्रमण किया। इस संघर्ष में महेंद्रवर्मन द्वितीय को कुछ क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। उनकी मृत्यु के बाद पल्लव साम्राज्य में कुछ समय के लिए अस्थिरता आई, क्योंकि उनका उत्तराधिकारी परमेश्वरवर्मन प्रथम उस समय संभवतः युवा था।
2. सांस्कृतिक और स्थापत्य योगदान:
महेंद्रवर्मन द्वितीय के शासनकाल में पल्लव स्थापत्य और कला की परंपरा जारी रही, जो उनके पिता और दादा (महेंद्रवर्मन प्रथम) द्वारा शुरू की गई थी। हालाँकि, उनके शासनकाल से कोई विशेष स्मारक या स्थापत्य कार्य स्पष्ट रूप से जुड़ा नहीं है। इसका कारण उनका संक्षिप्त शासनकाल और चालुक्यों के साथ युद्ध में व्यस्तता हो सकता है। काँचीपुरम और महाबलीपुरम जैसे केंद्र उनके शासनकाल में भी सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण बने रहे।
3. धर्म और प्रशासन:
महेंद्रवर्मन द्वितीय ने अपने पूर्वजों की तरह शैव और वैष्णव धर्मों को संरक्षण प्रदान किया, जिससे धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा बनी रही। उनके शासनकाल में काँचीपुरम एक महत्वपूर्ण धार्मिक और प्रशासनिक केंद्र रहा, जो पल्लव शक्ति का प्रतीक था।
4. उत्तराधिकार और विरासत:
महेंद्रवर्मन द्वितीय की मृत्यु के बाद उनके पुत्र परमेश्वरवर्मन प्रथम ने शासन संभाला। परमेश्वरवर्मन ने चालुक्यों के खिलाफ युद्ध में पल्लव साम्राज्य की स्थिति को पुनः मजबूत किया। महेंद्रवर्मन द्वितीय का शासनकाल पल्लव वंश के लिए एक मध्यवर्ती चरण था, जो नरसिंहवर्मन प्रथम के स्वर्ण युग और परमेश्वरवर्मन प्रथम के पुनरुत्थान के बीच की कड़ी के रूप में देखा जाता है।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer