Harappan Civilization
jp Singh
2025-05-20 12:42:34
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हड़प्पा सभ्यता
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization)
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization), जिसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के नाम से भी जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन और विकसित शहरी सभ्यताओं में से एक थी। यह कांस्य युग (Bronze Age) की सभ्यता थी, जो लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में फली-फूली। इस सभ्यता का नाम सिंधु नदी के नाम पर पड़ा, जिसके आसपास इसके अधिकांश पुरातात्विक स्थल स्थित हैं। हड़प्पा सभ्यता अपनी उन्नत शहरी नियोजन, वास्तुकला, जल प्रबंधन, व्यापार, और सामाजिक संगठन के लिए प्रसिद्ध है। यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया की समकालीन सभ्यताओं के साथ तुलनीय थी और इसका प्रभाव वर्तमान भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था। नीचे हड़प्पा सभ्यता का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:
हड़प्पा सभ्यता की पृष्ठभूमि
स्थान और विस्तार: हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों (रावी, सतलज, ब्यास, चिनाब, झेलम) के आसपास के क्षेत्रों में था।
यह सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिम भारत, और पूर्वी अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैली थी।
प्रमुख क्षेत्र: पंजाब, सिंध, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश।
कुल क्षेत्रफल: लगभग 12.6 लाख वर्ग किमी, जो मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं से बड़ा था।
प्रमुख शहर: हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान), मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान), धोलावीरा (गुजरात, भारत), लोथल (गुजरात, भारत), कालिबंगन (राजस्थान, भारत), और राखीगढ़ी (हरियाणा, भारत)।
काल: प्रारंभिक हड़प्पा काल (Early Harappan Phase): 3300-2600 ईसा पूर्व। परिपक्व हड़प्पा काल (Mature Harappan Phase): 2600-1900 ईसा पूर्व। उत्तर हड़प्पा काल (Late Harappan Phase): 1900-1300 ईसा पूर्व।
खोज: हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में राय बहादुर दया राम साहनी ने हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) में की।
1922 में राखाल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) की खोज की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य पुरातत्वविदों, जैसे जॉन मार्शल, मॉर्टिमर व्हीलर, और बी. बी. लाल, ने इस सभ्यता के उत्खनन और अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अब तक 1000 से अधिक स्थल खोजे जा चुके हैं, जिनमें से केवल 10% का उत्खनन हुआ है।
पर्यावरण: सिंधु घाटी का क्षेत्र उपजाऊ मैदानों, नदियों, और मानसूनी जलवायु से समृद्ध था, जो कृषि और व्यापार के लिए आदर्श था। प्राचीन काल में सरस्वती नदी (वर्तमान में घग्घर-हकरा) भी इस सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जिसके सूखने से सभ्यता के पतन में योगदान हुआ।
महत्व: हड़प्पा सभ्यता विश्व की पहली शहरी सभ्यताओं में से एक थी, जो अपने समय की सबसे उन्नत सभ्यताओं (मिस्र, मेसोपोटामिया) के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंध रखती थी। इसकी लिपि, शहरी नियोजन, और सामाजिक संगठन आज भी शोध का विषय हैं।
हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएँ
हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएँ इसके शहरी नियोजन, वास्तुकला, अर्थव्यवस्था, सामाजिक संगठन, धर्म, और कला के आधार पर निम्नलिखित हैं:
1. शहरी नियोजन और वास्तुकला
नगर नियोजन: हड़प्पा सभ्यता के शहर जाल-योजना (Grid Pattern) पर आधारित थे, जिसमें सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
शहरों को दो भागों में विभाजित किया गया था
उच्च नगर (Citadel): शासकीय भवन, सभागार, और धार्मिक स्थल।
निचला नगर (Lower Town): आवासीय क्षेत्र, बाजार, और कार्यशालाएँ।
उदाहरण: मोहनजोदड़ो का महास्नानघर (Great Bath) और हड़प्पा का अनाज भंडार (Granary)।
स्तुकला: भवन पक्की ईंटों (Baked Bricks) से बने थे, जो एकसमान आकार (4:2:1 अनुपात) की थीं। घरों में आंगन, कुएँ, स्नानघर, और नालियाँ थीं। कुछ घर दोमंजिला थे। जल निकासी प्रणाली अत्यंत उन्नत थी, जिसमें ढकी हुई नालियाँ और मैनहोल थे। उदाहरण: धोलावीरा में जल संग्रहण प्रणाली और लोथल में बंदरगाह।
महास्नानघर (मोहनजोदड़ो): एक बड़ा जलाशय (12x7x2.4 मीटर), जो धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोगी था। जलरोधी ईंटों और प्राकृतिक डामर (Bitumen) का उपयोग।
अनाज भंडार: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में बड़े अनाज भंडार, जो खाद्य सुरक्षा और व्यापार को दर्शाते हैं।
बंदरगाह: लोथल में विश्व का प्राचीनतम कृत्रिम बंदरगाह (Dockyard), जो समुद्री व्यापार को दर्शाता है।
सुरक्षा: उच्च नगर को मजबूत दीवारों से घेरा गया था, जो बाढ़ और हमलों से सुरक्षा प्रदान करती थीं। उदाहरण: कालिबंगन और धोलावीरा में किलेबंदी।
2. अर्थव्यवस्था और व्यापार
कृषि: हड़प्पा सभ्यता कृषि-आधारित थी। प्रमुख फसलें: गेहूँ, जौ, चावल, कपास, दालें, खजूर, और तिल। चावल की खेती का सबसे प्राचीन साक्ष्य लोथल और रंगपुर (गुजरात) से मिला। सिंचाई के लिए नहरें और कुएँ उपयोग किए जाते थे।
पशुपालन: गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, और कुत्ते। हाथी और गैंडा भी पाले जाते थे।
शिल्प और उद्योग: मिट्टी के बर्तन: चाक पर बने, लाल रंग के बर्तन, जिन पर काले रंग से चित्रकारी थी। आभूषण: सोना, चाँदी, तांबा, कांस्य, और अर्ध-कीमती पत्थरों (कार्नेलियन, लैपिस लाजुली) से बने हार, कंगन, और मनके।
कपड़ा: कपास की खेती और सूती वस्त्र निर्माण। कपास को यूनानी लोग सिंडन कहते थे।
धातु कार्य: तांबा और कांस्य से बने औजार, हथियार, और बर्तन। लोहा का उपयोग नहीं था।
मुद्रा निर्माण: मिट्टी और पत्थर की मुहरें (Seals), जिन पर पशु (एकरूप बैल, गैंडा, बाघ) और लिपि थी।
उदाहरण: धोलावीरा में मनके बनाने की कार्यशाला और लोथल में तांबे की भट्टी।
व्यापार: आंतरिक व्यापार: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, और धोलावीरा जैसे शहरों के बीच अनाज, कपड़ा, और मनके का व्यापार।
बाह्य व्यापार: मेसोपोटामिया (सुमेर, अक्काद), ओमान, बहरीन, और अफगानिस्तान के साथ समुद्री और स्थलीय व्यापार। मेसोपोटामिया के अभिलेखों में हड़प्पा को मेलुहा कहा गया है।
निर्यात: कपास, अनाज, मनके, और लकड़ी।
आयात: लैपिस लाजुली (अफगानिस्तान), टिन, और चाँदी। उदाहरण: लोथल का बंदरगाह और शोर्तुघई (अफगानिस्तान) में हड़प्पा की व्यापारिक चौकी।
3. सामाजिक संगठन
वर्ग व्यवस्था: समाज में शासक वर्ग, व्यापारी, कारीगर, और किसान थे। कोई कठोर वर्ण व्यवस्था का साक्ष्य नहीं है।
उच्च नगर में रहने वाले लोग संभवतः शासक या धनी व्यापारी थे।
परिवार: संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित थी। महिलाएँ घरेलू कार्यों और शिल्प में योगदान देती थीं। उदाहरण: मोहनजोदड़ो में मिली नर्तकी की मूर्ति (Dancing Girl) से महिलाओं की सामाजिक स्थिति का अनुमान लगाया जाता है।
शिक्षा: लिपि के उपयोग से लेखन और गणना का ज्ञान था, लेकिन स्कूलों का प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।
सामाजिक समानता: घरों और दफन प्रथाओं में ज्यादा अंतर नहीं, जो सामाजिक समानता को दर्शाता है। उदाहरण: कालिबंगन और लोथल में दफन स्थल।
4. धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन
धार्मिक विश्वास: हड़प्पा सभ्यता में कोई बड़े मंदिर नहीं मिले, लेकिन धार्मिक अनुष्ठानों के साक्ष्य हैं। प्रकृति पूजा: पेड़ (पीपल), नदियाँ, और पशु (बैल, गैंडा) की पूजा।
मातृदेवी पूजा: मिट्टी की मूर्तियाँ, जो उर्वरता और समृद्धि की प्रतीक थीं।
पशुपति शिव: मोहनजोदड़ो की एक मुहर पर योगी मुद्रा में बैठा पुरुष, जिसे पशुपति शिव माना जाता है।
अग्नि पूजा: कालिबंगन में अग्निकुंड, जो यज्ञ या अनुष्ठान को दर्शाते हैं।
जादुई विश्वास: ताबीज और मंत्रों का उपयोग।
कला: मूर्तिकला: नर्तकी की मूर्ति (कांस्य, मोहनजोदड़ो), दाढ़ीवाला पुरुष (स्टीटाइट, मोहनजोदड़ो)।
मुहरें: पशु, मानव, और लिपि के साथ स्टीटाइट की मुहरें। सबसे प्रसिद्ध: पशुपति मुहर।
चित्रकला: मिट्टी के बर्तनों पर ज्यामितीय और प्राकृतिक चित्र।
नृत्य और संगीत: नर्तकी की मूर्ति और मिट्टी के खिलौनों से नृत्य और संगीत का अनुमान।
लिपि: हड़प्पा लिपि चित्रलिपि (Pictographic) थी, जिसमें 400-600 प्रतीक थे। लिपि को अभी तक डिकोड नहीं किया गया है, लेकिन इसे दायें से बायें लिखा जाता था (कभी-कभी उल्टा भी)। उपयोग: मुहरें, बर्तन, और ताम्रपत्रों पर।
खेल और मनोरंजन: मिट्टी के खिलौने (गाड़ियाँ, बैल, पक्षी), पासे, और शतरंज जैसा खेल। उदाहरण: लोथल में पासे और खिलौने।
5. विज्ञान और प्रौद्योगिकी
जल प्रबंधन: उन्नत जल निकासी प्रणाली, कुएँ, और जलाशय। उदाहरण: धोलावीरा में जल संग्रहण प्रणाली और मोहनजोदड़ो में महास्नानघर।
माप-तौल
एकसमान माप (10.8 मिमी का मूलांक) और तौल (0.83 ग्राम से 13.7 किग्रा तक)।
दशमलव प्रणाली का उपयोग।
उदाहरण: लोथल में पत्थर के बाट।
धातु विज्ञान: तांबा और कांस्य से औजार, हथियार, और बर्तन।
सोना और चाँदी से आभूषण।
नौकायन
समुद्री व्यापार के लिए नावें और जहाज। उदाहरण: लोथल का बंदरगाह और नाव की मिट्टी की मॉडल।
6. प्रमुख स्थल
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल और उनकी विशेषताएँ:
1. हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान): अनाज भंडार, किलेबंदी, और कार्यशालाएँ।
2. मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान): महास्नानघर, पशुपति मुहर, नर्तकी की मूर्ति। उन्नत जल निकासी प्रणाली।
3. धोलावीरा (गुजरात, भारत): जल संग्रहण प्रणाली, स्टेडियम, और साइनबोर्ड।
4. लोथल (गुजरात, भारत): कृत्रिम बंदरगाह, मनके कार्यशाला, और चावल की खेती।
5. कालिबंगन (राजस्थान, भारत): अग्निकुंड, हल के निशान, और दफन स्थल। प्राचीनतम हलित भूमि (Plowed Field)।
6. राखीगढ़ी (हरियाणा, भारत): सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल (350 हेक्टेयर)। गहनों और मुहरों के साक्ष्य।
7. बनावली (हरियाणा, भारत): जौ की खेती और मिट्टी की मूर्तियाँ।
8. सुरकोटदा (गुजरात, भारत): घोड़े की हड्डियाँ (विवादास्पद)। किलेबंदी और व्यापारिक चौकी।
हड़प्पा सभ्यता का पतन
हड़प्पा सभ्यता का पतन 1900 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ और 1300 ईसा पूर्व तक यह पूरी तरह समाप्त हो गई। पतन के कारणों पर विद्वानों में मतभेद हैं, लेकिन प्रमुख संभावित कारण निम्नलिखित हैं:
1. जलवायु परिवर्तन: मानसून की कमी और सूखे ने कृषि को प्रभावित किया। सरस्वती नदी (घग्घर-हकरा) का सूखना, जिसके किनारे कई हड़प्पा स्थल थे।
. नदी प्रवाह में बदलाव: सिंधु और सहायक नदियों के मार्ग में परिवर्तन ने बस्तियों को प्रभावित किया। उदाहरण: मोहनजोदड़ो में बाढ़ के साक्ष्य।
3. पर्यावरणीय क्षरण: अत्यधिक कृषि, जंगल कटाई, और मिट्टी का क्षरण।
4. आर्थिक कमजोरी: मेसोपोटामिया के साथ व्यापार में कमी। संसाधनों (जैसे तांबा, लैपिस लाजुली) की कमी।
5. बाहरी आक्रमण: आर्य आक्रमण सिद्धांत (विवादास्पद): कुछ विद्वान मानते हैं कि मध्य एशिया से आए आर्यों ने हड़प्पा शहरों को नष्ट किया। लेकिन इसके पुरातात्विक साक्ष्य सीमित हैं। उदाहरण: मोहनजोदड़ो में कुछ कंकालों पर चोट के निशान।
6. आंतरिक अस्थिरता: सामाजिक और राजनीतिक अशांति। शहरी केंद्रों का परित्याग और ग्रामीण बस्तियों की ओर पलायन।
उत्तर हड़प्पा काल: पतन के बाद, लोग छोटी ग्रामीण बस्तियों में रहने लगे। उदाहरण: झुकर संस्कृति (सिंध) और रंगपुर संस्कृति (गुजरात)। वैदिक संस्कृति का उदय इसी काल में हुआ, लेकिन हड़प्पा और वैदिक संस्कृति के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्पष्ट नहीं है।
हड़प्पा सभ्यता का महत्व
शहरीकरण का प्रारंभ: हड़प्पा सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में शहरीकरण का पहला उदाहरण थी, जो आधुनिक शहरों की नींव रखती है।
ज्ञानिक प्रगति: जल प्रबंधन, माप-तौल, और धातु विज्ञान में उन्नति। दशमलव प्रणाली और एकसमान ईंटों का उपयोग।
सांस्कृतिक योगदान: प्रकृति पूजा, मातृदेवी, और पशुपति जैसे विश्वास भारतीय धर्मों (हिंदू धर्म) की नींव बन सकते हैं। कपास की खेती और सूती वस्त्र विश्व को भारत की देन।
वैश्विक व्यापार: मेसोपोटामिया और अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार ने भारत को प्राचीन विश्व अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया।
विरासत: हड़प्पा सभ्यता की लिपि, कला, और शहरी नियोजन आज भी शोध और प्रेरणा का स्रोत हैं। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (मोहनजोदड़ो, धोलावीरा) इसकी वैश्विक मान्यता को दर्शाते हैं।
हड़प्पा सभ्यता की चुनौतियाँ और अनसुलझे प्रश्न
लिपि का रहस्य: हड़प्पा लिपि को डिकोड नहीं किया जा सका है, जिसके कारण इस सभ्यता की भाषा और साहित्य अज्ञात हैं।
राजनीतिक संरचना: कोई राजा, महल, या सेना के साक्ष्य नहीं हैं। क्या यह सभ्यता केंद्रीकृत शासन या गणतांत्रिक थी?
पतन का कारण: पतन के सटीक कारणों पर विद्वानों में मतभेद है। जलवायु परिवर्तन, आक्रमण, या आर्थिक कमजोरी में से कौन प्रमुख था?
सांस्कृतिक निरंतरता: हड़प्पा और वैदिक संस्कृति के बीच संबंध अस्पष्ट हैं। क्या हड़प्पा संस्कृति वैदिक संस्कृति में विलीन हो गई?
संरक्षण: कई स्थल (जैसे मोहनजोदड़ो) प्राकृतिक क्षरण और मानव गतिविधियों (खनन, निर्माण) से खतरे में हैं।
Conclusion
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