भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48
jp Singh
2025-05-09 15:50:29
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48 राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत आता है और यह राज्य को कृषि और पशुपालन के आधुनिकीकरण और संरक्षण के लिए निर्देश देता है, विशेष रूप से गायों और अन्य पशुओं के संरक्षण पर जोर देता है।
मुख्य बिंदु:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
1. कृषि और पशुपालन का आधुनिकीकरण:
राज्य को कृषि और पशुपालन को वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों से संगठित और विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।
2. गायों और पशुओं का संरक्षण:
राज्य को गायों, बछड़ों, और अन्य दुधारू और कृषि कार्यों में उपयोगी पशुओं के संरक्षण और सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए, विशेष रूप से उनके वध पर प्रतिबंध लगाने के लिए।
उद्देश्य:
यह अनुच्छेद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने, और पशुधन के संरक्षण पर केंद्रित है।
यह भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक परंपराओं, विशेष रूप से गायों के महत्व को ध्यान में रखता है, जो ग्रामीण जीवन और कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कार्यान्वयन:
कृषि आधुनिकीकरण:
हरित क्रांति और कृषि अनुसंधान (जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR) ने कृषि को आधुनिक बनाने में योगदान दिया।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएँ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए हैं।
पशुपालन:
राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राष्ट्रीय गोकुल मिशन पशुधन के संरक्षण और विकास के लिए लागू किए गए हैं।
डेयरी विकास के लिए अमूल जैसे सहकारी मॉडल और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) महत्वपूर्ण हैं।
पशु वध पर प्रतिबंध:
कई राज्यों ने गायों और अन्य पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून बनाए हैं, जैसे गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम और महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम। हालांकि, यह मुद्दा संवेदनशील है और विभिन्न समुदायों के बीच विवाद का विषय रहा है।
महत्व:
यह अनुच्छेद भारत की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं (विशेष रूप से गायों के प्रति) के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने का प्रयास करता है।
कानूनी स्थिति:
नीति निदेशक तत्व होने के नाते, यह अनुच्छेद न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है, लेकिन यह सरकार के लिए नीति निर्माण में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करता है।
गाय वध पर प्रतिबंध से संबंधित मामले कई बार सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में पहुँचे हैं, जहाँ इसे अनुच्छेद 48 के साथ संतुलित किया गया है।
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jp Singh
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