भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46
jp Singh
2025-05-09 15:39:22
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46 राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत आता है और यह राज्य को अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण और उत्थान के लिए विशेष प्रावधान करने का निर्देश देता है।
मुख्य बिंदु:
कमजोर वर्गों का उत्थान:
राज्य को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना चाहिए।
सामाजिक अन्याय से संरक्षण:
इन वर्गों को सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए विशेष देखभाल और उपाय करने चाहिए।
उद्देश्य:
इसका लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करना और समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाना है।
कार्यान्वयन:
आरक्षण:
शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण (अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत) इस अनुच्छेद के सिद्धांतों को लागू करता है।
कल्याणकारी योजनाएँ:
अनुसूचित जाति/जनजाति विकास योजनाएँ, जैसे छात्रवृत्तियाँ, आवास, और कौशाल विकास कार्यक्रम।
आदिवासी कल्याण कार्यक्रम, जैसे वन अधिकार अधिनियम, 2006, जो जनजातियों को भूमि और संसाधनों पर अधिकार देता है।
कानून:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 सामाजिक अन्याय और शोषण के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है।
शिक्षा और रोजगार:
सर्व शिक्षा अभियान (SSA) और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसे कार्यक्रम इन वर्गों के लिए शैक्षिक और आर्थिक अवसरों को बढ़ाते हैं।
महत्व:
यह अनुच्छेद सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह वंचित समुदायों के सशक्तिकरण और उनके खिलाफ ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने पर केंद्रित है।
कानूनी स्थिति:
नीति निदेशक तत्व होने के नाते, यह अनुच्छेद न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है, लेकिन यह सरकार के लिए नीति निर्माण में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करता है। हालाँकि, इस अनुच्छेद से संबंधित कुछ पहलू, जैसे आरक्षण और अत्याचार निवारण, संविधान के अन्य प्रावधानों और कानूनों के माध्यम से प्रवर्तनीय हैं।
Conclusion
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jp Singh
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