भारतीय संविधान का अनुच्छेद 27
jp Singh
2025-05-09 13:34:29
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 27
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 27: किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए करों से छूट
भारत के संविधान का अनुच्छेद 27 धर्मनिरपेक्षता (Secularism) के सिद्धांत को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म के प्रचार या समर्थन के लिए कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाए। इसका प्रावधान निम्नलिखित है
करों पर छूट
किसी भी व्यक्ति को ऐसे करों का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जिनका उपयोग किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय के प्रचार या रखरखाव के लिए किया जाता हो।
महत्वपूर्ण बिंदु
लागू होने का दायरा
यह अनुच्छेद सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों) पर लागू होता है और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को बनाए रखता है।
उद्देश्य
यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने या उसका समर्थन करने के लिए नहीं किया जाए।
अपवाद
सामान्य कल्याणकारी कार्यों (जैसे मंदिरों की मरम्मत, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा) के लिए कर लगाए जा सकते हैं, बशर्ते वे किसी विशेष धर्म को प्रचारित न करें।
धार्मिक संस्थानों को सामाजिक सुधार या प्रशासन के लिए विनियमित करने वाले कर इस अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करते।
महत्वपूर्ण मामले
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थानों के प्रशासन के लिए शुल्क या कर अनुच्छेद 27 का उल्लंघन नहीं करते, जब तक वे किसी धर्म के प्रचार के लिए न हों।
शिरूर मठ मामला (1954)
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थानों के प्रशासन के लिए शुल्क या कर अनुच्छेद 27 का उल्लंघन नहीं करते, जब तक वे किसी धर्म के प्रचार के लिए न हों।
रति लाल बनाम मद्रास राज्य (1954)
धार्मिक संस्थानों के रखरखाव के लिए सामान्य कर को वैध माना गया।
विशेषताएँ
यह अनुच्छेद भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को रेखांकित करता है, जो सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और समान व्यवहार को बढ़ावा देता है।
यह अनुच्छेद 25 और 26 के साथ मिलकर धार्मिक स्वतंत्रता और राज्य की तटस्थता को संतुलित करता है।
सीमाएँ: यह केवल उन करों पर लागू होता है जो स्पष्ट रूप से किसी धर्म के प्रचार के लिए हैं, न कि सामान्य प्रशासनिक या कल्याणकारी करों पर।
Conclusion
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jp Singh
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