भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25
jp Singh
2025-05-09 13:23:36
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25: अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म की स्वतंत्रता
भारत के संविधान का अनुच्छेद 25 व्यक्तियों को धर्म और अंतःकरण (Conscience) की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह धर्म के क्षेत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार के बीच संतुलन बनाता है। इसके प्रावधान निम्नलिखित हैं:
1. अंतःकरण और धर्म की स्वतंत्रता:
- सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता और किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने, और प्रचार करने का अधिकार है।
- यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, और स्वास्थ्य के अधीन है।
2. उचित प्रतिबंध:
- राज्य सामाजिक कल्याण, सुधार, या सार्वजनिक हित के लिए धर्म से संबंधित गतिविधियों पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है।
यह अनुच्छेद धर्म के आर्थिक, वित्तीय, या राजनीतिक पहलुओं को विनियमित करने की अनुमति देता है।
3. विशेष प्रावधान:
यह अनुच्छेद सिखों को अपनी धार्मिक प्रथाओं के तहत कृपाण (Kirpan) ले जाने का अधिकार देता है।
हिंदू धर्म के संदर्भ में, यह मंदिरों में प्रवेश और सामाजिक सुधारों (जैसे अस्पृश्यता उन्मूलन) को बढ़ावा देता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
लागू होने का दायरा
यह अनुच्छेद नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों पर लागू होता है।
धर्म की परिभाषा
इसमें सभी धर्म (हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन, आदि) और उनके संप्रदाय शामिल हैं।
प्रचार का अर्थ
इसका मतलब धर्म को फैलाना है, लेकिन जबरन धर्मांतरण शामिल नहीं है। - महत्वपूर्ण मामले:
शिरूर मठ मामले (1954)
सुप्रीम कोर्ट ने धर्म के
साबरमाला मंदिर मामला (2018)
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित माना और लैंगिक भेदभाव को असंवैधानिक ठहराया।
स्टेनिस्लॉस बनाम मध्य प्रदेश (1977)
जबरन धर्मांतरण को अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं माना गया।
यह अधिकार पूर्ण नहीं है और सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, या अन्य मौलिक अधिकारों के आधार पर प्रतिबंधित हो सकता है।
गैर-धार्मिक गतिविधियाँ (जैसे मंदिरों का प्रशासन) राज्य द्वारा विनियमित हो सकती हैं।
Conclusion
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jp Singh
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