भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23
jp Singh
2025-05-09 13:15:21
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23: मानव व्यापार और बलात् श्रम का निषेध
भारत के संविधान का अनुच्छेद 23 मानव तस्करी, बेगार (Forced Labour), और अन्य प्रकार के बलात् श्रम को प्रतिबंधित करता है। यह सामाजिक न्याय और मानव गरिमा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके प्रावधान निम्नलिखित हैं
1. मानव व्यापार और बेगार पर रोक:
मानव व्यापार (Human Trafficking), बेगार, और इसी तरह के अन्य बलात् श्रम के रूप निषिद्ध हैं।
2. कानूनी दंड
इस अनुच्छेद का उल्लंघन करने वाली किसी भी प्रथा को कानून द्वारा अपराध माना जाएगा और दंडनीय होगा।
3. राज्य का दायित्व
राज्य इस प्रावधान को लागू करने के लिए उपयुक्त कानून बना सकता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
लागू होने का दायरा: यह अनुच्छेद नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों पर लागू होता है और निजी व्यक्तियों (जैसे जमींदार, नियोक्ता) के साथ-साथ राज्य के खिलाफ भी लागू होता है।
संबंधित कानून
बंधुआ मजदूर प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976
बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने और पुनर्वास के लिए प्रावधान।
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956
मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 370
मानव तस्करी को अपराध घोषित करता है। - महत्वपूर्ण मामले
पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम भारत संघ (1982)
बेगार और बंधुआ मजदूरी की परिभाषा को विस्तारित किया और न्यूनतम मजदूरी न देना भी अनुच्छेद 23 का उल्लंघन माना।
बंदुआ मुक्ति मोर्चा बनाम भारत संघ (1984)
बंधुआ मजदूरों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
विशेषताएँ
यह अनुच्छेद सामाजिक और आर्थिक शोषण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है और अनुच्छेद 21 (गरिमापूर्ण जीवन) के साथ पूरक है।
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jp Singh
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