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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
jp Singh 2025-05-09 13:05:57
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक है। यह प्रावधान करता है
प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना उसके प्राण (जीवन) या दैहिक स्वतंत्रता (Personal Liberty) से वंचित नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु
विस्तृत व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 को व्यापक रूप से व्याख्यायित किया है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं
जीने का अधिकार
केवल जीवित रहने तक सीमित नहीं, बल्कि गरिमापूर्ण जीवन, स्वच्छ पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, और गोपनीयता का अधिकार शामिल है।
दैहिक स्वतंत्रता
व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जैसे स्वतंत्र रूप से घूमना, निर्णय लेना, और मनमानी गिरफ्तारी से संरक्षण।
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कार्रवाई (जैसे गिरफ्तारी, सजा) कानून के अनुसार और निष्पक्ष होनी चाहिए।
महत्वपूर्ण मामले
मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 में
ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)
शुरू में अनुच्छेद 21 को सीमित रूप से देखा गया, लेकिन बाद में इसे विस्तारित किया गया।
फ्रांसिस कोराली बनाम दिल्ली प्रशासन (1981)
गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार स्थापित। - के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017): गोपनीयता (Right to Privacy) को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया गया।
विशेषताएँ
यह अनुच्छेद नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों पर लागू होता है।
इसमें पर्यावरण संरक्षण, मुफ्त कानूनी सहायता, त्वरित न्याय, और शिक्षा का अधिकार (RTE) जैसे कई अधिकार शामिल हो गए हैं।
सीमाएँ: यह अधिकार पूर्ण नहीं है और सार्वजनिक हित या कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रतिबंधित हो सकता है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21A
शिक्षा का अधिकार भारत के संविधान का अनुच्छेद 21A बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। यह 86वें संविधान संशोधन (2002) के द्वारा जोड़ा गया। इसका प्रावधान निम्नलिखित है:
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा: राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा, जैसा कि वह विधि द्वारा निर्धारित करे।
महत्वपूर्ण बिंदु
संबंधित कानून
इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) लागू किया गया, जो निम्नलिखित सुनिश्चित करता है:
6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।
निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के लिए 25% सीटों का आरक्षण।
स्कूलों में बुनियादी सुविधाएँ, जैसे शिक्षक-छात्र अनुपात, बुनियादी ढांचा, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
लागू होने का दायरा: यह अधिकार केवल 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों पर लागू होता है और प्राथमिक शिक्षा तक सीमित है। - महत्वपूर्ण मामले
उन्नी कृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश (1993):
शिक्षा को अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन का हिस्सा माना गया, जिसने अनुच्छेद 21A की नींव रखी।
प्रमति एजुकेशनल ट्रस्ट बनाम भारत संघ (2014)
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि RTE कुछ अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होता।
विशेषताएँ
यह अनुच्छेद राज्य के दायित्व को रेखांकित करता है, जिससे शिक्षा एक मौलिक अधिकार बन गया।
यह सामाजिक समावेशन और समानता को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से वंचित वर्गों के लिए।
सीमाएँ: यह 6 वर्ष से कम या 14 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को कवर नहीं करता।
Conclusion
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