भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17
jp Singh
2025-05-09 12:33:56
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का उन्मूलन भारत के संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने से संबंधित है। इसके मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
1. अस्पृश्यता का अंत
अस्पृश्यता को किसी भी रूप में लागू करना निषिद्ध है। यह प्रथा पूर्ण रूप से समाप्त कर दी गई है।
2. कानूनी प्रतिबंध
अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव या अक्षमता लागू करना दंडनीय अपराध है।
3. संबंधित कानून
इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के रूप में संशोधित) बनाया गया, जो अस्पृश्यता के अभ्यास को अपराध घोषित करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 सामाजिक न्याय और समानता के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो सदियों पुरानी जातिगत भेदभाव की प्रथा को लक्षित करता है।
यह अनुच्छेद मौलिक अधिकार है और सीधे लागू होता है। इसका उल्लंघन होने पर अदालतों में सीधे अपील की जा सकती है।
संबंधित कानून: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 भी अस्पृश्यता से संबंधित अत्याचारों को रोकने के लिए लागू है।
महत्वपूर्ण मामले: पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम भारत संघ (1982) में सुप्रीम कोर्ट ने अस्पृश्यता को व्यापक रूप से परिभाषित किया, जिसमें किसी भी प्रकार का सामाजिक बहिष्कार शामिल है
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