भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15
jp Singh
2025-05-09 12:25:24
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15:
प्रमुख बिंदु
1. अनुच्छेद 15(1)
राज्य किसी नागरिक के साथ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
2. अनुच्छेद 15(2)
किसी भी नागरिक को केवल उपर्युक्त आधारों पर दुकानों, सार्वजनिक स्थानों, होटलों, कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच में बाधा या भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।
3. अनुच्छेद 15(3)
यह राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान बनाने की शक्ति देता है। उदाहरण: महिलाओं के लिए आरक्षण या बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा।
4. अनुच्छेद 15(4)
राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए विशेष प्रावधान बनाने की अनुमति देता है। (यह खंड प्रथम संशोधन, 1951 द्वारा जोड़ा गया।)
5. अनुच्छेद 15(5)
राज्य को शैक्षिक संस्थानों (निजी सहित) में पिछड़े वर्गों, SC और ST के लिए आरक्षण या विशेष प्रावधान बनाने की शक्ति देता है, सिवाय अल्पसंख्यक संस्थानों के। (93वां संशोधन, 2005 द्वारा जोड़ा गया।)
6. अनुच्छेद 15(6)
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए विशेष प्रावधान बनाने की अनुमति देता है, जिसमें शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण शामिल है। (103वां संशोधन, 2019 द्वारा जोड़ा गया।)
महत्व
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है और भेदभाव को रोकता है।
यह सकारात्मक भेदभाव (Affirmative Action) का आधार प्रदान करता है, जैसे आरक्षण नीतियां।
महत्वपूर्ण मामले: इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (OBC आरक्षण), सोयराबाई बनाम मध्य प्रदेश सरकार आदि।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है। यह निम्नलिखित प्रावधान करता है:
1. भेदभाव पर प्रतिबंध
राज्य किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
2. सार्वजनिक सुविधाओं तक समान पहुंच:
कोई भी नागरिक उपर्युक्त आधारों पर दुकानों, सार्वजनिक रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों या कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों जैसे सार्वजनिक उपयोग के स्थानों तक पहुंच में भेदभाव का शिकार नहीं होगा।
3. विशेष प्रावधान
राज्य को महिलाओं, बच्चों, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार है।
4. आरक्षण
1995 और 2019 के संशोधनों के माध्यम से, यह अनुच्छेद राज्य को शैक्षिक संस्थानों (निजी सहित) और सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए आरक्षण प्रदान करने की अनुमति देता है।
यह अनुच्छेद समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) को मजबूत करता है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Conclusion
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jp Singh
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