भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11
jp Singh
2025-05-09 11:42:59
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11: संसद को नागरिकता नियम बनाने की शक्ति से संबंधित है। यह भारत के संविधान के नागरिकता से संबंधित प्रावधानों (अनुच्छेद 5-11) का अंतिम अनुच्छेद है और नागरिकता से संबंधित मामलों को नियंत्रित करने के लिए संसद को व्यापक अधिकार प्रदान करता है।
प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 के अनुसार
संसद को पूर्ण अधिकार है कि वह कानून बनाकर नागरिकता से संबंधित सभी मामलों को नियंत्रित और विनियमित करे, जिसमें शामिल हैं
नागरिकता की प्राप्ति (जैसे, जन्म, वंश, पंजीकरण, समावेशन)
नागरिकता का समापन
और नागरिकता से संबंधित अन्य सभी मामले।
महत्व
यह अनुच्छेद संसद को नागरिकता नीति को निर्धारित करने की लचीलापन और प्रभुता देता है, जो अनुच्छेद 5-10 के प्रावधानों को पूरक करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि संविधान में नागरिकता के प्रारंभिक नियम (अनुच्छेद 5-10) स्थायी नहीं हैं, और संसद समय-समय पर बदलती परिस्थितियों के अनुसार कानून बना सकती है।
इसके तहत नागरिकता अधिनियम, 1955 और इसके बाद के संशोधन (जैसे, 1986, 2003, 2019) बनाए गए।
उदाहरण
नागरिकता अधिनियम, 1955: इस कानून ने नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके स्थापित किए: जन्म, वंश, पंजीकरण, समावेशन, और क्षेत्रीय अधिग्रहण। यह अनुच्छेद 11 की शक्ति का उपयोग है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA): इसने पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए कुछ धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) को नागरिकता प्रदान करने के लिए नियम बनाए, जो अनुच्छेद 11 के तहत संसद की शक्ति का उदाहरण है।
नागरिकता समाप्त करने के नियम, जैसे विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर (अनुच्छेद 9 के साथ), भी इस अनुच्छेद के तहत बनाए गए।
मुख्य बिंदु
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 अनुच्छेद 5-10 को एक गतिशील ढांचा देता है, जिससे संसद को नागरिकता के नियमों को संशोधित करने की स्वतंत्रता मिलती है।
यह अनुच्छेद संघीय प्रभुता को दर्शाता है, क्योंकि नागरिकता एक केंद्रीय विषय है (संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, प्रविष्टि 17)।
यह विभाजन के बाद की जटिलताओं और भविष्य की आवश्यकताओं (जैसे, प्रवासी भारतीय, शरणार्थी) को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5-10: संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय नागरिकता के प्रारंभिक नियम प्रदान करते हैं, जबकि अनुच्छेद 11 संसद को इन नियमों को विस्तारित और संशोधित करने की शक्ति देता है।
नागरिकता अधिनियम, 1955: अनुच्छेद 11 के तहत बनाया गया यह कानून नागरिकता के सभी पहलुओं (प्राप्ति, समापन, OCI) को नियंत्रित करता है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019: इसने विवाद पैदा किया, क्योंकि कुछ का मानना है कि यह अनुच्छेद 14 (समानता) का उल्लंघन करता है, लेकिन यह अनुच्छेद 11 के तहत संसद की शक्ति के अंतर्गत है।
ऐतिहासिक संदर्भ: अनुच्छेद 11 ने विभाजन के बाद नागरिकता के मुद्दों को व्यवस्थित करने और भविष्य में नीतिगत बदलावों के लिए लचीलापन प्रदान किया।
आधुनिक संदर्भ
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि यह संसद को वैश्वीकरण, शरणार्थी संकट, और प्रवासी भारतीयों की जरूरतों के अनुसार नागरिकता नियमों को अपडेट करने की अनुमति देता है।
OCI (Overseas Citizen of India) और PIO (Person of Indian Origin) कार्ड जैसे प्रावधान भी अनुच्छेद 11 के तहत बनाए गए कानूनों का हिस्सा हैं।
Conclusion
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