भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10
jp Singh
2025-05-09 11:34:42
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10: नागरिकता की निरंतरता से संबंधित है। यह भारत के संविधान के नागरिकता से संबंधित प्रावधानों (अनुच्छेद 5-11) का हिस्सा है और उन व्यक्तियों की नागरिकता को संरक्षित करता है जो अनुच्छेद 5 से 8 के तहत भारत के नागरिक माने गए हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10 के अनुसार
जो व्यक्ति अनुच्छेद 5, 6, 7, या 8 के तहत भारत का नागरिक माना गया है, वह नागरिक बना रहेगा, जब तक कि उसे संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत नागरिकता से वंचित न किया जाए।
महत्व
यह अनुच्छेद नागरिकता की स्थायित्व सुनिश्चित करता है, जिससे अनुच्छेद 5-8 के तहत प्राप्त नागरिकता को मनमाने ढंग से समाप्त नहीं किया जा सकता।
यह संसद को नागरिकता को नियंत्रित करने और समाप्त करने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है, जो बाद में नागरिकता अधिनियम, 1955 के रूप में लागू हुआ।
यह प्रावधान उन लोगों की सुरक्षा करता है जो संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय या विभाजन के बाद नागरिक बने थे।
उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 5 के तहत भारत में जन्म के आधार पर नागरिक बना, तो वह तब तक नागरिक बना रहेगा, जब तक कि नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत उसकी नागरिकता समाप्त न हो (जैसे, विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर, अनुच्छेद 9 के तहत)।
पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थी, जो अनुच्छेद 6 के तहत नागरिक बने, उनकी नागरिकता अनुच्छेद 10 के तहत सुरक्षित रहती है, जब तक कि कानूनन समाप्त न हो।
मुख्य बिंदु
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता की गारंटी देता है, लेकिन यह संसद की शक्ति के अधीन है, जो नागरिकता को समाप्त करने के लिए नियम बना सकती है।
यह अनुच्छेद अनुच्छेद 9 (विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर नागरिकता समाप्त) और अनुच्छेद 11 (संसद की कानून बनाने की शक्ति) के साथ मिलकर काम करता है।
यह विभाजन के बाद की अनिश्चितता को कम करने में मदद करता है, जब लाखों लोगों की नागरिकता का सवाल उठा था।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9: विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर नागरिकता समाप्त होने का प्रावधान देता है, जो अनुच्छेद 10 की निरंतरता को सीमित कर सकता है।
नागरिकता अधिनियम, 1955: इस अधिनियम की धारा 9 और 10 नागरिकता समाप्त करने की प्रक्रिया को विस्तार से बताती हैं, जैसे विदेशी नागरिकता लेना, धोखाधड़ी, या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियाँ।
ऐतिहासिक संदर्भ: अनुच्छेद 10 ने 1947 के विभाजन के बाद नागरिकता की स्थिति को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर उन लोगों के लिए जो भारत में बस गए थे।
आधुनिक संदर्भ
आज, नागरिकता की समाप्ति नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नियंत्रित होती है, जैसे कि विदेशी नागरिकता स्वीकार करने या गैरकानूनी गतिविधियों के कारण।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10 यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकता को केवल कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है, जिससे मनमानी कार्रवाई रोकी जाती है।
Conclusion
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jp Singh
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