भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8
jp Singh
2025-05-09 11:20:25
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8: विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों की नागरिकता से संबंधित है। यह भारत के संविधान के नागरिकता से संबंधित प्रावधानों (अनुच्छेद 5-11) का हिस्सा है और उन व्यक्तियों को संबोधित करता है जो विदेश में रहते हैं, लेकिन भारतीय मूल के हैं।
प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8 के अनुसार, कोई व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा यदि
1. वह या उसके माता-पिता/दादा-दादी भारत के क्षेत्र (जैसा कि 1947 से पहले ब्रिटिश भारत में परिभाषित) में जन्मे हों, और
2. वह विदेश में रह रहा हो, लेकिन भारत के किसी दूतावास या वाणिज्य दूतावास में नागरिकता के लिए पंजीकरण करवाए।
महत्व
यह अनुच्छेद प्रवासी भारतीयों (जैसे, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, या अन्य देशों में रहने वाले) को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अवसर देता है, बशर्ते वे भारतीय मूल के हों।
यह उन लोगों को संबोधित करता है जो भारत के बाहर रह रहे थे, लेकिन भारत के साथ अपने संबंध को बनाए रखना चाहते थे, विशेष रूप से विभाजन (1947) के बाद की अवधि में।
यह प्रावधान पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्रदान करने की प्रक्रिया को औपचारिक बनाता है।
उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति लंदन में रह रहा हो, जिसके माता-पिता पंजाब (भारत) में जन्मे थे, और वह भारतीय दूतावास में नागरिकता के लिए पंजीकरण करवाता है, तो वह अनुच्छेद 8 के तहत भारत का नागरिक बन सकता है।
1950 में, कोई व्यक्ति जो दक्षिण अफ्रीका में रह रहा था, लेकिन जिसके दादा-दादी भारत में जन्मे थे, वह भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकरण के बाद नागरिकता प्राप्त कर सकता था।
मुख्य बिंदु
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8 भारतीय मूल (जन्म के आधार पर) और पंजीकरण की शर्त पर केंद्रित है।
यह उन लोगों पर लागू होता है जो संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय विदेश में निवास कर रहे थे।
यह प्रावधान अनुच्छेद 5-7 से अलग है, जो भारत में निवास या विभाजन से संबंधित व्यक्तियों को कवर करते हैं।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9: यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता स्वीकार करता है, तो वह भारतीय नागरिकता खो देता है, जो अनुच्छेद 8 के साथ विरोधाभास पैदा कर सकता है।
नागरिकता अधिनियम, 1955
बाद में नागरिकता के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को और विस्तृत किया, जिसमें प्रवासी भारतीयों के लिए नियम शामिल हैं (जैसे, धारा 5)।
आधुनिक संदर्भ
आज, प्रवासी भारतीय नागरिकता (OCI) और प्रवासी भारतीय कार्ड जैसे प्रावधान अनुच्छेद 8 की भावना को आगे बढ़ाते हैं, हालांकि भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता।
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