भारतीय संविधान का अनुच्छेद 7
jp Singh
2025-05-09 11:16:17
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 7
प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 7 के अनुसार
यदि कोई व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान चला गया और वहाँ निवास करने लगा, तो वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा, सिवाय इसके कि:
वह पुनर्वास के लिए परमिट (Permit for Resettlement) के साथ भारत लौटा हो।
ऐसे व्यक्ति अनुच्छेद 6 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे अन्य शर्तें (जैसे, भारत में जन्म या 6 महीने का निवास) पूरी करें।
महत्व
यह अनुच्छेद उन लोगों को संबोधित करता है जो विभाजन (15 अगस्त 1947) के दौरान या बाद में स्वेच्छा से पाकिस्तान चले गए, लेकिन बाद में भारत लौटना चाहते थे।
यह भारत की नागरिकता को सीमित करता है उन लोगों के लिए जो पाकिस्तान में स्थायी रूप से बसने का इरादा रखते थे, ताकि नागरिकता की प्रक्रिया व्यवस्थित रहे।
पुनर्वास परमिट की शर्त सुनिश्चित करती है कि केवल वास्तविक शरणार्थी या भारत में स्थायी रूप से बसने के इच्छुक लोग ही नागरिकता के लिए पात्र हों।
उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति 1947 में दिल्ली से कराची (पाकिस्तान) चला गया और 1949 में पुनर्वास परमिट के साथ भारत लौटा, तो वह अनुच्छेद 6 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता था, बशर्ते वह अन्य शर्तें पूरी करता हो।
मुख्य बिंदु
1 मार्च 1947 की तारीख महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विभाजन से पहले की अवधि को दर्शाती है, जब लोग स्वेच्छा से पाकिस्तान गए।
यह अनुच्छेद अनुच्छेद 6 के साथ पूरक है, जो पाकिस्तान से भारत आने वालों को कवर करता है, जबकि अनुच्छेद 7 उन लोगों को संबोधित करता है जो पहले पाकिस्तान गए और फिर लौटे।
यह प्रावधान विभाजन की अस्थिरता और बड़े पैमाने पर प्रवास के कारण उत्पन्न जटिलताओं को संभालने के लिए बनाया गया था।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6: पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को कवर करता है, जबकि अनुच्छेद 7 उन लोगों को जो पहले पाकिस्तान गए।
नागरिकता अधिनियम, 1955
बाद में नागरिकता के नियमों को और स्पष्ट किया, लेकिन अनुच्छेद 7 विशेष रूप से 1947-1950 की अवधि के लिए प्रासंगिक था।
ऐतिहासिक संदर्भ
यह अनुच्छेद विभाजन के दौरान और बाद में लाखों लोगों के विस्थापन और नागरिकता के मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण था।
Conclusion
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jp Singh
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