भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6
jp Singh
2025-05-09 11:12:42
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6: भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए व्यक्तियों की नागरिकता से संबंधित है। यह भारत के संविधान के नागरिकता से संबंधित प्रावधानों (अनुच्छेद 5-11) का हिस्सा है और विशेष रूप से 1947 के विभाजन के संदर्भ में लागू होता है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6 के अनुसार
व्यक्ति जो पाकिस्तान से भारत आए और संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय भारत में थे, भारत के नागरिक माने जाएंगे, यदि:
1. पात्रता
व्यक्ति या उनके माता-पिता/दादा-दादी भारत के क्षेत्र (जैसा कि 1947 से पहले ब्रिटिश भारत में परिभाषित) में जन्मे हों, और
2. प्रवास का समय
वे 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आए हों। ऐसे व्यक्ति स्वतः भारत के नागरिक बन जाएंगे।
यदि वे 19 जुलाई 1948 के बाद, लेकिन संविधान लागू होने से पहले आए हों, तो उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा और कम से कम 6 महीने तक भारत में रहना होगा।
महत्व
यह अनुच्छेद विभाजन (15 अगस्त 1947) के दौरान पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों, विशेष रूप से हिंदुओं और सिखों, को नागरिकता प्रदान करने के लिए बनाया गया।
यह उन लोगों को संबोधित करता है जो विभाजन के बाद भारत में स्थायी रूप से बसना चाहते थे।
यह अनुच्छेद अनुच्छेद 5 (संविधान लागू होने के समय सामान्य नागरिकता) को पूरक करता है और विभाजन की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखता है।
उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति, जिसके माता-पिता पंजाब (भारत) में जन्मे थे, 1947 में लाहौर (पाकिस्तान) से दिल्ली आया और 1948 तक भारत में रह रहा था, तो वह अनुच्छेद 6 के तहत स्वतः भारत का नागरिक बन जाता।
यदि कोई व्यक्ति 1949 में कराची से भारत आया और उसने नागरिकता के लिए आवेदन किया, तो 6 महीने भारत में रहने के बाद वह नागरिकता प्राप्त कर सकता था।
मुख्य बिंदु
19 जुलाई 1948 की तारीख महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परमिट सिस्टम शुरू होने की तारीख थी, जिसके बाद भारत आने वालों को औपचारिक आवेदन करना पड़ता था।
यह प्रावधान उन लोगों पर लागू नहीं होता जो स्वेच्छा से पाकिस्तान में रहे या वहाँ की नागरिकता स्वीकार की (ऐसे मामलों में अनुच्छेद 7 लागू होता है)।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6 में जन्म (भारत में) और प्रवास की शर्तें शामिल हैं, जो विभाजन के बाद की जटिल परिस्थितियों को संबोधित करती हैं।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 7
उन लोगों से संबंधित है जो भारत से पाकिस्तान गए और बाद में भारत लौटे। यह अनुच्छेद 6 के विपरीत स्थिति को कवर करता है।
नागरिकता अधिनियम, 1955
बाद में नागरिकता के लिए विस्तृत नियम बनाए गए, लेकिन अनुच्छेद 6 विशेष रूप से 1947-1950 की अवधि के लिए लागू था।
प्रासंगिकता
यह अनुच्छेद आज ऐतिहासिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विभाजन के बाद नागरिकता के मुद्दों को हल करने में मदद करता था।
Conclusion
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jp Singh
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