भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5
jp Singh
2025-05-09 10:59:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5: भारत की नागरिकता से संबंधित है और संविधान लागू होने के समय (26 जनवरी 1950) नागरिकता के लिए प्रारंभिक प्रावधानों को परिभाषित करता है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5 के अनुसार, संविधान के प्रारंभ (26 जनवरी 1950) पर निम्नलिखित व्यक्ति भारत के नागरिक माने जाएंगे
1. वह व्यक्ति जो भारत के क्षेत्र में जन्मा हो।
2. वह व्यक्ति जिसके माता-पिता में से कोई एक भारत में जन्मा हो, और वह व्यक्ति संविधान लागू होने से पहले कम से कम पांच वर्षों तक भारत में सामान्य रूप से निवास कर रहा हो।
3. वह व्यक्ति जो भारत में सामान्य रूप से निवास कर रहा हो और संविधान लागू होने से पहले कम से कम पांच वर्षों तक भारत में रह रहा हो।
मुख्य बिंदु
यह अनुच्छेद संविधान लागू होने के समय भारत की नागरिकता के लिए स्वचालित पात्रता प्रदान करता है।
यह जन्म (jus soli) और वंश (jus sanguinis) दोनों सिद्धांतों पर आधारित है।
यह प्रावधान उन लोगों को कवर करता है जो भारत में या भारत के बाहर जन्मे, लेकिन भारत में लंबे समय से निवास कर रहे थे।
उदाहरण
26 जनवरी 1950 को, जो लोग भारत में जन्मे थे (जैसे, दिल्ली में जन्मा व्यक्ति) या जिनके माता-पिता भारत में जन्मे थे और वे 1945 से भारत में रह रहे थे, वे स्वतः भारत के नागरिक बन गए।
यह उन लोगों पर भी लागू हुआ जो ब्रिटिश भारत के हिस्से थे, लेकिन विभाजन (1947) के बाद भारत में रह रहे थे।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता से संबंधित प्रावधान हैं। अनुच्छेद 6 और 7 विशेष रूप से विभाजन (भारत-पाकिस्तान) के संदर्भ में नागरिकता को संबोधित करते हैं।
बाद में, नागरिकता अधिनियम, 1955 ने नागरिकता के लिए विस्तृत नियम बनाए, जैसे जन्म, वंश, पंजीकरण, और समावेशन द्वारा नागरिकता।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5 केवल संविधान लागू होने के समय की स्थिति को कवर करता है, जबकि बाद की नागरिकता नीतियाँ इस अधिनियम द्वारा नियंत्रित होती हैं।
Conclusion
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jp Singh
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