भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3
jp Singh
2025-05-09 10:53:10
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3: नए राज्यों का गठन और मौजूदा राज्यों की सीमाओं, क्षेत्रों या नामों में परिवर्तन से संबंधित है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को निम्नलिखित के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है
1. नए राज्य का गठन करना।
2. मौजूदा राज्यों के क्षेत्र, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करना।
3. किसी राज्य के क्षेत्र को बढ़ाना या घटाना।
4. दो या अधिक राज्यों को मिलाकर एक नया राज्य बनाना।
5. किसी राज्य के हिस्से को अलग करके नया राज्य या केंद्रशासित प्रदेश बनाना।
प्रक्रिया
संसद को ऐसा कानून बनाने से पहले संबंधित राज्य विधानसभा की राय लेनी होती है, लेकिन राज्य की सहमति अनिवार्य नहीं है।
राष्ट्रपति की सिफारिश पर ऐसा विधेयक संसद में पेश किया जाता है।
यह कानून साधारण बहुमत से पारित हो सकता है, संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता नहीं होती।
मुख्य बिंदु
यह अनुच्छेद भारत के संघीय ढांचे में लचीलापन प्रदान करता है, जिससे संसद को राज्यों की संरचना में बदलाव करने की व्यापक शक्ति मिलती है।
राज्य की सहमति बाध्यकारी नहीं होने के कारण यह केंद्र की प्रभुता को दर्शाता है।
उदाहरण
1. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: 2014 में आंध्र प्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना राज्य बनाया गया (आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014)।
2. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख: 2019 में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
3. बिहार और झारखंड (2000), मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (2000), और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (2000) का गठन।
4. नाम परिवर्तन: जैसे, मद्रास का तमिलनाडु (1969), मैसूर का कर्नाटक (1973), और बॉम्बे का महाराष्ट्र।
संबंधित जानकारी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 2 बाहरी क्षेत्रों को शामिल करने से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 3 मौजूदा राज्यों के पुनर्गठन से।
प्रथम अनुसूची में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की अद्यतन सूची दी जाती है, जो अनुच्छेद 3 के तहत संशोधित होती रहती है।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781