Twelfth of the Schedule e Indian Constitution
jp Singh
2025-07-08 13:53:43
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान की बारहवीं अनुसूची
भारतीय संविधान की बारहवीं अनुसूची
भारतीय संविधान की बारहवीं अनुसूची (Twelfth Schedule) में नगरपालिका संस्थाओं (Municipalities) की शक्तियों, अधिकारों, और जिम्मेदारियों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। यह अनुसूची अनुच्छेद 243W के तहत संदर्भित है और 74वें संशोधन (1992) के माध्यम से संविधान में जोड़ी गई। इसका उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिका, नगर निगम, और नगर पंचायत) को सशक्त बनाना और शहरी विकास को बढ़ावा देना है। यह ग्यारहवीं अनुसूची का शहरी समकक्ष है, जो पंचायती राज संस्थाओं के लिए है। नीचे इसका विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें संरचना, प्रावधान, ऐतिहासिक संदर्भ, महत्व, और संशोधन प्रक्रिया शामिल है।
1. बारहवीं अनुसूची की संरचना बारहवीं अनुसूची में 18 विषय शामिल हैं, जिन पर नगरपालिका संस्थाएँ अपनी योजनाएँ बना सकती हैं और कार्यान्वयन कर सकती हैं। ये विषय शहरी प्रशासन, बुनियादी ढांचे, और सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित हैं। अनुच्छेद 243W के तहत, राज्य विधानमंडल इन विषयों को नगरपालिकाओं को सौंपने के लिए कानून बना सकते हैं।
2. वर्तमान प्रावधान (7 जुलाई 2025 तक)
(क) बारहवीं अनुसूची के 18 विषय बारहवीं अनुसूची में शामिल विषय निम्नलिखित हैं
1. शहरी नियोजन: नगर नियोजन और भूमि उपयोग।
2. भूमि उपयोग और भवन निर्माण का नियमन।
3. आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नियोजन।
4. सड़कें और पुल।
5. जल आपूर्ति: घरेलू, औद्योगिक, और वाणिज्यिक उपयोग के लिए।
6. सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, और ठोस कचरा प्रबंधन।
7. अग्निशमन सेवाएँ।
8. शहरी वानिकी: पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन।
9. झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों का सुधार और उन्नयन।
10. शहरी गरीबी उन्मूलन।
11. पार्क, उद्यान, और खेल के मैदानों का प्रावधान।
12. सांस्कृतिक, शैक्षिक, और सौंदर्यपूर्ण पहलुओं को बढ़ावा।
13. दफन और श्मशान घाट, और विद्युत शवदाह गृह।
14. पशु क्रूरता की रोकथाम।
15. जन्म-मृत्यु पंजीकरण।
16. सार्वजनिक सुविधाएँ: स्ट्रीट लाइटिंग, पार्किंग स्थल, बस स्टॉप, और सार्वजनिक शौचालय।
17. वधशाला का नियमन और रखरखाव।
18. अन्य: शहरी विकास से संबंधित अन्य कार्य।
(ख) कार्यान्वयन राज्य सरकार की भूमिका: अनुच्छेद 243W के तहत, राज्य विधानमंडल इन विषयों को नगरपालिकाओं को सौंपने के लिए कानून बनाते हैं। प्रत्येक राज्य का नगरपालिका अधिनियम इन विषयों के आधार पर शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ प्रदान करता है।
वित्तीय शक्तियाँ: नगरपालिकाएँ संपत्ति कर, शुल्क, और केंद्र/राज्य सरकारों से अनुदान प्राप्त कर सकती हैं।
जिला और महानगर योजना समिति: अनुच्छेद 243ZD और 243ZE के तहत, जिला और महानगर स्तर पर योजनाएँ बनाने के लिए समितियाँ गठित की जाती हैं, जो बारहवीं अनुसूची के विषयों को लागू करती हैं।
नगरपालिका के प्रकार: नगर पंचायत (छोटे शहरी क्षेत्र), नगरपालिका परिषद (मध्यम शहर), और नगर निगम (बड़े शहर)।
3. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संशोधन बारहवीं अनुसूची का उद्भव भारत में शहरी स्वशासन को मजबूत करने की आवश्यकता से जुड़ा है। प्रमुख बिंदु
1. औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश शासन में कुछ शहरों (जैसे कोलकाता, चेन्नई, मुंबई) में नगरपालिका व्यवस्था थी, लेकिन यह सीमित थी। स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए लॉर्ड रिपन (1882) ने शुरुआती कदम उठाए।
2. 1950 में संविधान: मूल संविधान में नगरपालिकाओं के लिए कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं था, सिवाय निर्देशक सिद्धांत (अनुच्छेद 40) के, जो स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने की बात करता था। नगरपालिकाएँ राज्य सरकारों के अधीन थीं, और उनकी शक्तियाँ असमान थीं।
3. 74वाँ संशोधन (1992): 1992 में बारहवीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया, जिसने नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। इसका उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना और शहरी विकास, स्वच्छता, और गरीबी उन्मूलन को गति देना था। इसने त्रिस्तरीय शहरी स्वशासन (नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद, नगर निगम) को मान्यता दी।
4. संशोधन: बारहवीं अनुसूची में कोई बड़ा संशोधन नहीं हुआ है, क्योंकि इसमें शामिल विषय सामान्य और व्यापक हैं। राज्यों ने अपने नगरपालिका अधिनियमों में संशोधन करके इन विषयों के कार्यान्वयन को अनुकूलित किया है।
4. बारहवीं अनुसूची का महत्व 1. शहरी स्वशासन: यह नगरपालिकाओं को स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की शक्ति देता है, जिससे शहरी प्रशासन अधिक प्रभावी होता है।
2. शहरी विकास: 18 विषय शहरी बुनियादी ढांचे, स्वच्छता, और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
3. सामाजिक समावेशन: महिलाओं, अनुसूचित जातियों, और जनजातियों के लिए आरक्षण (अनुच्छेद 243T) के साथ, यह सामाजिक समावेश को सुनिश्चित करता है।
4. जवाबदेही: वार्ड समितियों और अन्य स्थानीय निकायों के माध्यम से, नगरपालिकाएँ शहरी समुदायों के प्रति जवाबदेह रहती हैं।
5. संघीय ढांचा: यह केंद्र, राज्य, और स्थानीय सरकारों के बीच शक्तियों का विकेंद्रीकरण करता है, जो भारत के संघीय ढांचे को मजबूत करता है।
5. संशोधन की प्रक्रिया संवैधानिक संशोधन: बारहवीं अनुसूची में बदलाव के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता होती है, जो संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए (अनुच्छेद 368)। राज्य सरकारों की शक्ति: राज्य विधानमंडल इन विषयों को नगरपालिकाओं को सौंपने के लिए कानून बना सकते हैं और उनके कार्यान्वयन को अनुकूलित कर सकते हैं।
केंद्र की भूमिका: केंद्र सरकार राष्ट्रीय योजनाओं (जैसे स्मार्ट सिटी मिशन, AMRUT) के माध्यम से इन विषयों के कार्यान्वयन में सहायता करती है।
6. रोचक तथ्य
1. 74वाँ संशोधन: इसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिया और भारत में शहरी स्वशासन को क्रांतिकारी बनाया।
2. महिला सशक्तिकरण: नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए 33% (कई राज्यों में 50%) आरक्षण ने शहरी नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई।
3. स्मार्ट सिटी मिशन: बारहवीं अनुसूची के विषय स्मार्ट सिटी और AMRUT जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण हैं।
4. शहरीकरण की चुनौती: भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण बारहवीं अनुसूची की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
7. बारहवीं अनुसूची और अन्य अनुसूचियों से संबंध ग्यारहवीं अनुसूची: यह पंचायती राज संस्थाओं के लिए समान प्रावधान देती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित है, जबकि बारहवीं अनुसूची शहरी क्षेत्रों के लिए है।
सातवीं अनुसूची: यह केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बँटवारा करती है, और बारहवीं अनुसूची राज्य सूची के कई विषयों (जैसे स्वास्थ्य, स्वच्छता) को नगरपालिकाओं को सौंपती है।
पंचम और छठी अनुसूची: ये जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान देती हैं, जबकि बारहवीं अनुसूची शहरी क्षेत्रों पर लागू होती है।
8. समकालीन प्रासंगिकता शहरी विकास योजनाएँ: बारहवीं अनुसूची के विषय स्मार्ट सिटी मिशन, AMRUT, और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण हैं।
वित्तीय चुनौतियाँ: नगरपालिकाओं को अक्सर पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे इन विषयों का पूर्ण कार्यान्वयन मुश्किल होता है।
शहरीकरण: भारत में तेजी से बढ़ता शहरीकरण (2030 तक 40% से अधिक आबादी शहरी होगी) बारहवीं अनुसूची के विषयों को और प्रासंगिक बनाता है।
डिजिटल प्रशासन: ई-गवर्नेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे Urban Local Bodies पोर्टल) ने इन विषयों के कार्यान्वयन को पारदर्शी बनाया है।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781