Eighth of the Schedule e Indian Constitution
jp Singh
2025-07-08 13:38:00
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भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule) में भारत की मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषाओं की सूची शामिल है। यह अनुसूची अनुच्छेद 344(1) और 351 के तहत संदर्भित है और इसका उद्देश्य भारत की भाषाई विविधता को मान्यता देना, हिंदी के विकास को बढ़ावा देना, और विभिन्न भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित करना है। यह अनुसूची संविधान में उन भाषाओं को सूचीबद्ध करती है, जिन्हें आधिकारिक और सांस्कृतिक महत्व दिया गया है। नीचे इसका विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें संरचना, प्रावधान, ऐतिहासिक संदर्भ, महत्व, और संशोधन प्रक्रिया शामिल है।
1. आठवीं अनुसूची की संरचना आठवीं अनुसूची में भारत की मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची दी गई है। यह अनुसूची भारत की भाषाई विविधता को संरक्षित करने और विभिन्न भाषाओं के साहित्य, संस्कृति, और शिक्षा को बढ़ावा देने का आधार प्रदान करती है। वर्तमान में, इसमें 22 भाषाएँ शामिल हैं।
2. वर्तमान प्रावधान (7 जुलाई 2025 तक) आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं
1. असमिया (Assamese)
2. बंगला (Bengali)
3. बोडो (Bodo)
4. डोगरी (Dogri)
5. गुजराती (Gujarati)
6. हिंदी (Hindi)
7. कन्नड़ (Kannada)
8. कश्मीरी (Kashmiri)
9. कोंकणी (Konkani)
10. मैथिली (Maithili)
11. मलयालम (Malayalam)
12. मणिपुरी (Manipuri)
13. मराठी (Marathi)
14. नेपाली (Nepali)
15. ओडिया (Odia)
16. पंजाबी (Punjabi)
17. संस्कृत (Sanskrit)
18. संताली (Santali)
19. सिंधी (Sindhi)
20. तमिल (Tamil)
21. तेलुगु (Telugu)
22. उर्दू (Urdu)
प्रमुख बिंदु
हिंदी का विशेष स्थान: अनुच्छेद 351 के तहत, हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें अन्य भारतीय भाषाओं और संस्कृत से समृद्धि लेने की बात कही गई है।
अंग्रेजी का उपयोग: यद्यपि अंग्रेजी आठवीं अनुसूची का हिस्सा नहीं है, यह संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ सहायक भाषा के रूप में उपयोग की जाती है (अनुच्छेद 343)।
राज्य स्तर: राज्यों को अपनी आधिकारिक भाषा चुनने का अधिकार है, जो आठवीं अनुसूची की भाषाओं में से हो सकती है।
3. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संशोधन आठवीं अनुसूची का विकास भारत की भाषाई विविधता और स्वतंत्रता के बाद की भाषा नीति से प्रभावित है। प्रमुख बिंदु
1. 1950 में प्रारंभिक प्रावधान: संविधान लागू होने पर, आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ शामिल थीं: असमिया, बंगला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, और उर्दू। इसका उद्देश्य भारत की प्रमुख भाषाओं को मान्यता देना और हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा देना था।
2. संशोधन और विस्तार: 21वाँ संशोधन (1967): सिंधी को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया। 71वाँ संशोधन (1992): कोंकणी, मणिपुरी, और नेपाली को शामिल किया गया। 92वाँ संशोधन (2003): बोडो, डोगरी, मैथिली, और संताली को जोड़ा गया। इन संशोधनों ने भारत की भाषाई विविधता को और व्यापक रूप से मान्यता दी।
3. भाषा विवाद: संविधान निर्माण के दौरान हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने और अन्य भाषाओं को मान्यता देने पर गहन बहस हुई। गैर-हिंदी भाषी राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारत, ने अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदी और अंग्रेजी को सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला।
4. आठवीं अनुसूची का महत्व
1. भाषाई विविधता का संरक्षण: यह भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को मान्यता देता है और विभिन्न भाषाओं के साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देता है। यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्रीय भाषाएँ राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त करें।
2. संघीय ढांचे में एकीकरण: आठवीं अनुसूची विभिन्न भाषाई समुदायों को एकजुट करती है और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देती है।
3. शिक्षा और प्रशासन: यह भाषाएँ शिक्षा, प्रशासन, और न्यायिक प्रक्रियाओं में उपयोग की जाती हैं। केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में इन भाषाओं में प्रश्नपत्र दिए जाते हैं।
4. हिंदी का विकास: अनुच्छेद 351 के तहत, हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं से समृद्ध करके राष्ट्रीय भाषा के रूप में विकसित करने का प्रावधान है।
5. सांस्कृतिक पहचान: संस्कृत और संताली जैसी भाषाओं को शामिल करने से प्राचीन और जनजातीय सांस्कृतिक पहचान को संरक्षण मिलता है।
5. संशोधन की प्रक्रिया संवैधानिक संशोधन: आठवीं अनुसूची में नई भाषाएँ जोड़ने या हटाने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता होती है, जो संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए (अनुच्छेद 368)।
संसदीय शक्ति: संसद को नई भाषाओं को शामिल करने का अधिकार है, जो भाषाई समुदायों की माँगों और सांस्कृतिक महत्व पर आधारित होता है। परामर्श: नई भाषा को शामिल करने से पहले संबंधित समुदायों, भाषाविदों, और विशेषज्ञों से परामर्श किया जाता है।
6. रोचक तथ्य
1. 22 भाषाएँ: भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों में से है, जिनके संविधान में इतनी अधिक भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी गई है।
2. नई भाषाओं की माँग: भोजपुरी, राजस्थानी, और मगही जैसी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग समय-समय पर उठती रही है।
3. संस्कृत का महत्व: यद्यपि संस्कृत बोलने वालों की संख्या कम है, इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण शामिल किया गया।
4. संताली की विशिष्टता: संताली पहली जनजातीय भाषा है, जिसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
5. अंग्रेजी की स्थिति: अंग्रेजी को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया, लेकिन यह केंद्र और राज्यों में आधिकारिक कार्यों के लिए व्यापक रूप से उपयोग होती है।
7. आठवीं अनुसूची और अन्य अनुसूचियों से संबंध प्रथम अनुसूची: यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची देती है, जिनमें आठवीं अनुसूची की भाषाएँ आधिकारिक भाषाएँ हो सकती हैं। तृतीय अनुसूची: शपथ और प्रतिज्ञान आठवीं अनुसूची की भाषाओं में लिए जा सकते हैं। पंचम और छठी अनुसूची: जनजातीय क्षेत्रों में आठवीं अनुसूची की भाषाएँ (जैसे बोडो, संताली) स्थानीय प्रशासन और शिक्षा में उपयोग होती हैं।
8. समकालीन प्रासंगिकता भाषा नीति: आठवीं अनुसूची राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। नई भाषाओं की माँग: भोजपुरी, राजस्थानी, और अन्य भाषाओं को शामिल करने की माँग राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस का विषय बनी हुई है। डिजिटल युग: आठवीं अनुसूची की भाषाएँ डिजिटल प्लेटफॉर्म, सॉफ्टवेयर, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में अनुवाद और विकास के लिए उपयोग की जा रही हैं।
Conclusion
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