Article 395 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 16:11:09
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 395
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 395
अनुच्छेद 395 भारतीय संविधान के भाग XXII (संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्रामाणिक पाठ और निरसन) में आता है। यह कतिपय अधिनियमों का निरसन (Repeals) से संबंधित है। यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को निरसन करता है, ताकि भारतीय संविधान को सर्वोच्च कानूनी दस्तावेज के रूप में स्थापित किया जा सके।
अनुच्छेद 395 का पाठ संविधान के पाठ (हिंदी) के अनुसार (संक्षेप में):
उद्देश्य: अनुच्छेद 395 का उद्देश्य भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को निरसन करके भारत के संविधान को सर्वोच्च कानूनी दस्तावेज के रूप में स्थापित करना है। यह प्रावधान भारत की संप्रभुता और स्वतंत्र गणतंत्र की स्थिति को रेखांकित करता है। इसका लक्ष्य संवैधानिक संप्रभुता, कानूनी निरंतरता, और राष्ट्रीय स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 395 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ब्रिटिश शासन के तहत भारत का प्रमुख संवैधानिक दस्तावेज था, जिसने संघीय ढांचा, प्रांतीय स्वायत्तता, और प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की थी। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने भारत को स्वतंत्रता प्रदान की और दो स्वतंत्र डोमिनियनों (भारत और पाकिस्तान) की स्थापना की। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, इन पुराने अधिनियमों को निरसन करना आवश्यक था ताकि भारत का संविधान सर्वोच्च हो। उदाहरण: ब्रिटिश शासन के कानूनी ढांचे का अंत। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान ऐतिहासिक महत्व का है, क्योंकि यह भारत की संवैधानिक संप्रभुता की नींव है।
अनुच्छेद 395 के प्रमुख तत्व
निरसन: भारत सरकार अधिनियम, 1935 और इसके संशोधन निरसन किए गए। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और इसके संशोधन भी निरसन किए गए। उदाहरण: ब्रिटिश शासन के प्रशासनिक ढांचे का अंत।
संवैधानिक सर्वोच्चता: इस निरसन ने भारत के संविधान को देश का सर्वोच्च कानूनी दस्तावेज बनाया। उदाहरण: संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेदों की सर्वोच्चता।
न्यायिक समीक्षा: इस प्रावधान से संबंधित कोई प्रत्यक्ष विवाद नहीं, क्योंकि यह केवल निरसन से संबंधित है।
महत्व: संवैधानिक संप्रभुता: भारत का संविधान सर्वोच्च। राष्ट्रीय स्वतंत्रता: ब्रिटिश कानूनी ढांचे का अंत। कानूनी निरंतरता: संविधान के तहत नया ढांचा। राष्ट्रीय एकता: स्वतंत्र गणतंत्र की स्थापना।
प्रमुख विशेषताएँ: निरसन: पुराने अधिनियम। सर्वोच्चता: संविधान की स्थिति। प्रभाव: संवैधानिक ढांचा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1947: भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम लागू। 1950: संविधान लागू और पुराने अधिनियमों का निरसन।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 372: मौजूदा कानूनों की निरंतरता। अनुच्छेद 393: संक्षिप्त नाम। अनुच्छेद 394: प्रारंभ
Conclusion
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