Recent Blogs

Article 378A of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:56:55
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 378A

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 378A
अनुच्छेद 378A भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह आंध्र प्रदेश विधान परिषद के समापन से संबंधित विशेष उपबंध (Special provision as to duration of Andhra Pradesh Legislative Council) से संबंधित है। यह प्रावधान आंध्र प्रदेश में विधान परिषद (द्वितीय सदन) के समापन के लिए बनाया गया था।
उद्देश्य: अनुच्छेद 378A का उद्देश्य आंध्र प्रदेश विधान परिषद के समापन को नियंत्रित करना और यह सुनिश्चित करना था कि यह संसद के कानून के माध्यम से औपचारिक रूप से समाप्त हो। यह प्रावधान आंध्र प्रदेश में द्विसदनीय विधायिका की स्थिति को स्पष्ट करता है। इसका लक्ष्य प्रशासनिक सुगमता, संवैधानिक अनुपालन, और राज्य विधायिका में स्थिरता सुनिश्चित करना था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 378A को 32वें संवैधानिक संशोधन (1973) के तहत जोड़ा गया। आंध्र प्रदेश में 1958 में विधान परिषद स्थापित की गई थी, लेकिन बाद में इसे समाप्त करने की माँग उठी। भारतीय संदर्भ: आंध्र प्रदेश में विधान परिषद को समाप्त करने का निर्णय प्रशासनिक और वित्तीय दक्षता के लिए लिया गया। उदाहरण: आंध्र प्रदेश विधान परिषद (समापन) अधिनियम, 1985 के तहत परिषद समाप्त। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान अब ऐतिहासिक महत्व का है, क्योंकि आंध्र प्रदेश विधान परिषद को 1985 में समाप्त कर दिया गया। हालाँकि, 2007 में इसे पुनः स्थापित किया गया, लेकिन यह अनुच्छेद 378A से संबंधित नहीं है।
अनुच्छेद 378A के प्रमुख तत्व
विधान परिषद की निरंतरता: सातवां संशोधन (1956) के बावजूद, आंध्र प्रदेश विधान परिषद तब तक कार्य करती रहेगी, जब तक संसद द्वारा कानून बनाकर इसे समाप्त न किया जाए। उदाहरण: 1985 तक परिषद का संचालन।
संसद की शक्ति: संसद को विधान परिषद को समाप्त करने के लिए कानून बनाने की शक्ति थी। उदाहरण: 1985 का समापन अधिनियम।
न्यायिक समीक्षा: इस प्रावधान के तहत संसद के निर्णयों को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: प्रशासनिक दक्षता: द्वितीय सदन की समाप्ति से लागत में कमी। संवैधानिक अनुपालन: संसद की शक्ति के तहत समापन। राज्य स्वायत्तता: आंध्र प्रदेश की विशिष्ट स्थिति। संस्थागत स्थिरता: विधायी ढांचे में स्पष्टता।
प्रमुख विशेषताएँ: निरंतरता: विधान परिषद। समापन: संसद की शक्ति। शक्तियाँ: कानून निर्माण। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1958: आंध्र प्रदेश में विधान परिषद की स्थापना। 1985: विधान परिषद का समापन। 2007: परिषद की पुनः स्थापना (अनुच्छेद 378A से असंबंधित)। 2025 स्थिति: ऐतिहासिक महत्व।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 169: विधान परिषद का समापन या सृजन। अनुच्छेद 171: विधान परिषद की संरचना। 32वां संशोधन: अनुच्छेद 378A का समावेश।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer