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Article 373 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:47:27
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 373

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 373
अनुच्छेद 373 भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह निरोधात्मक नजरबंदी से संबंधित कार्यवाही की वैधता (Power of President to make order in respect of persons under preventive detention in certain cases) से संबंधित है। यह प्रावधान संविधान लागू होने के समय निरोधात्मक नजरबंदी में रखे गए व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था करता है।
उद्देश्य: अनुच्छेद 373 का उद्देश्य संविधान लागू होने के समय निरोधात्मक नजरबंदी में रखे गए व्यक्तियों के मामलों को संभालने के लिए राष्ट्रपति को अस्थायी शक्ति प्रदान करना है। यह प्रावधान स्वतंत्रता के बाद के संक्रमणकाल में कानूनी और सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बनाया गया। इसका लक्ष्य प्रशासनिक स्थिरता, कानूनी निरंतरता, और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 373 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। स्वतंत्रता के समय, ब्रिटिश काल के कई कानून, जैसे प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट, 1950, निरोधात्मक नजरबंदी के लिए लागू थे। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, देश में सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए निरोधात्मक नजरबंदी के कई मामले थे। उदाहरण: संदिग्ध व्यक्तियों की नजरबंदी। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान अब कम प्रासंगिक है, क्योंकि संसद ने बाद में प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट, 1950 और अन्य कानून बनाए, लेकिन यह ऐतिहासिक और कानूनी निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 373 के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति को संविधान लागू होने के समय निरोधात्मक नजरबंदी में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में आदेश जारी करने की शक्ति दी गई थी। यह शक्ति तब तक थी, जब तक संसद इस संबंध में कानून नहीं बनाती। उदाहरण: नजरबंदी के मामलों में अस्थायी आदेश।
समय सीमा: राष्ट्रपति के आदेश संविधान लागू होने के एक महीने के भीतर प्रभावी होने थे। उदाहरण: 26 जनवरी 1950 से 25 फरवरी 1950 तक।
मौजूदा कानूनों का अनुपालन: राष्ट्रपति के आदेश मौजूदा कानूनों (जैसे, ब्रिटिश काल के नजरबंदी कानून) के अनुरूप होने चाहिए।
न्यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के आदेशों को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं (जैसे, अनुच्छेद 21) से बाहर हों।
महत्व: कानूनी निरंतरता: स्वतंत्रता के बाद नजरबंदी के मामलों में स्थिरता। सुरक्षा: कानून और व्यवस्था बनाए रखना। प्रशासनिक सुगमता: अस्थायी शक्ति के माध्यम से व्यवस्था। संवैधानिक अनुपालन: मौलिक अधिकारों के साथ संतुलन।
प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रपति: अस्थायी शक्ति। समय सीमा: एक महीना। कानून: मौजूदा कानूनों का अनुपालन। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950: संविधान लागू होने पर नजरबंदी मामलों में आदेश। 1950-51: प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट का लागू होना। 2025 स्थिति: ऐतिहासिक महत्व, क्योंकि अब नए कानून लागू।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 22: निरोधात्मक नजरबंदी से सुरक्षा। अनुच्छेद 372: मौजूदा कानूनों की निरंतरता। प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट, 1950।
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