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Article 372A of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:44:59
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 372A

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 372A
अनुच्छेद 372A भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह मौजूदा कानूनों को अनुकूलित करने के लिए राष्ट्रपति की अतिरिक्त शक्ति (Power of the President to adapt laws) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को संविधान के अनुरूप पुराने कानूनों को अनुकूलित करने की अतिरिक्त शक्ति प्रदान करता है, विशेष रूप से राज्यों के पुनर्गठन के संदर्भ में।
(2) इस तरह के आदेशों में मौजूदा कानूनों को संशोधित, निरस्त, या संशोधन के साथ लागू करने की शक्ति होगी।
(3) इस अनुच्छेद के तहत जारी आदेश संविधान के संशोधन के रूप में नहीं माने जाएँगे।
उद्देश्य: अनुच्छेद 372A का उद्देश्य राष्ट्रपति को पुराने कानूनों को संविधान और नए राज्य ढांचे के अनुरूप अनुकूलित करने की अतिरिक्त शक्ति प्रदान करना है, विशेष रूप से राज्यों के पुनर्गठन (1956) के बाद। यह प्रावधान अनुच्छेद 372 की शक्तियों को बढ़ाता है, जो कानूनी निरंतरता सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य कानूनी सुगमता, प्रशासनिक स्थिरता, और संवैधानिक एकीकरण सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 372A को 7वें संवैधानिक संशोधन (1956) के तहत जोड़ा गया, जब राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम, 1956 लागू हुआ। इस संशोधन ने भाषाई आधार पर राज्यों की सीमाओं को पुनर्गठित किया, जिसके कारण पुराने कानूनों को नए राज्यों के अनुरूप अनुकूलित करने की आवश्यकता थी। भारतीय संदर्भ: 1956 में, कई प्रांतों और रियासतों को नए राज्यों में शामिल किया गया, जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और महाराष्ट्र। उदाहरण: हैदराबाद रियासत के कानूनों का कर्नाटक और आंध्र में अनुकूलन। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान आज कम प्रासंगिक है, क्योंकि अनुकूलन की अवधि (1956-1959) समाप्त हो चुकी है, लेकिन यह ऐतिहासिक और कानूनी निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 372A के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति की अनुकूलन शक्ति: राष्ट्रपति को सातवें संशोधन के लागू होने के तीन वर्ष (1956-1959) के भीतर पुराने कानूनों को संविधान और नए राज्य ढांचे के अनुरूप अनुकूलित करने की शक्ति दी गई थी। उदाहरण: बंबई प्रांत के कानूनों को महाराष्ट्र और गुजरात के लिए अनुकूलित करना।
कानूनों का दायरा: इस अनुच्छेद में 'कानून' में शामिल हैं: अधिनियम, अध्यादेश, नियम, विनियम, उप-नियम, आदि। उदाहरण: रियासतों के प्रशासनिक नियम।
संशोधन नहीं: इस अनुच्छेद के तहत जारी आदेश संविधान के संशोधन के रूप में नहीं माने जाते, बल्कि केवल अनुकूलन के लिए हैं।
न्यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के अनुकूलन आदेशों को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: कानूनी निरंतरता: राज्यों के पुनर्गठन के बाद स्थिरता। संवैधानिक अनुकूलन: पुराने कानूनों का नए ढांचे में सामंजस्य। प्रशासनिक सुगमता: नए राज्यों में कानूनी एकरूपता। राष्ट्रीय एकीकरण: विविध कानूनी व्यवस्थाओं का एकीकरण।
प्रमुख विशेषताएँ: अनुकूलन: राष्ट्रपति की शक्ति। अवधि: 1956-1959। कानून: व्यापक दायरा। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1956: राज्यों का पुनर्गठन और अनुच्छेद 372A का समावेश। 1956-59: राष्ट्रपति द्वारा अनुकूलन आदेश। 2025 स्थिति: ऐतिहासिक महत्व, क्योंकि अनुकूलन अवधि समाप्त।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 372: मौजूदा कानूनों की निरंतरता। अनुच्छेद 13: असंगत कानून शून्य। 7वां संशोधन: राज्यों का पुनर्गठन।
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