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Article 371F of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:37:33
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371F

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371F
अनुच्छेद 371F भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह सिक्किम राज्य के लिए विशेष उपबंध (Special provisions with respect to the State of Sikkim) से संबंधित है। यह प्रावधान सिक्किम के भारत में विलय (1975) के बाद उसकी विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक, और प्रशासनिक आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए बनाया गया है।
(2) सिक्किम के पुराने कानून और परंपराएँ, जब तक संशोधित या निरस्त न हों, लागू रहेंगे।
(3) राष्ट्रपति, सिक्किम के प्रशासन और विकास के लिए विशेष आदेश जारी कर सकता है।
(4) सिक्किम के राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारियाँ होंगी।
(5) संसद, सिक्किम के लिए विशेष कानून बना सकती है, जो इसकी विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखे।
उद्देश्य: अनुच्छेद 371F का उद्देश्य सिक्किम की सांस्कृतिक पहचान, प्रथागत कानूनों, और प्रशासनिक स्वायत्तता की रक्षा करना है, साथ ही इसे भारत के संवैधानिक ढांचे में एकीकृत करना। यह प्रावधान सिक्किम की विशिष्ट ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों (पूर्व में एक स्वतंत्र रियासत) को ध्यान में रखता है। इसका लक्ष्य सांस्कृतिक संरक्षण, क्षेत्रीय स्वायत्तता, और राष्ट्रीय एकीकरण के बीच संतुलन बनाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 371F को 36वें संवैधानिक संशोधन (1975) के तहत जोड़ा गया, जब सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना। सिक्किम 1975 तक एक स्वतंत्र रियासत था, जिसके बाद जनमत संग्रह के माध्यम से भारत में विलय हुआ। भारतीय संदर्भ: सिक्किम की भौगोलिक स्थिति (चीन की सीमा पर) और इसकी सांस्कृतिक विविधता (लेप्चा, भूटिया, नेपाली समुदाय) को ध्यान में रखते हुए विशेष उपबंध बनाए गए। उदाहरण: सिक्किम में पुराने कानूनों का संरक्षण। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान सिक्किम की सांस्कृतिक पहचान और रणनीतिक महत्व को बनाए रखने में प्रासंगिक है।
अनुच्छेद 371F के प्रमुख तत्व:
विधान सभा की सीटें: सिक्किम विधान सभा में कम से कम 30 सीटें होंगी। यह छोटे राज्य की जनसंख्या और क्षेत्र को ध्यान में रखता है। उदाहरण: वर्तमान में सिक्किम विधान सभा में 32 सीटें।
पुराने कानूनों का संरक्षण: सिक्किम के पुराने कानून और परंपराएँ तब तक लागू रहेंगी, जब तक उन्हें संशोधित या निरस्त न किया जाए। उदाहरण: सिक्किम की रियासत के कुछ प्रथागत कानून।
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति सिक्किम के प्रशासन और विकास के लिए विशेष आदेश जारी कर सकता है। उदाहरण: सिक्किम में विकास परियोजनाएँ।
राज्यपाल की विशेष जिम्मेदारी: सिक्किम के राज्यपाल को राज्य की शांति, सामाजिक सौहार्द, और विकास के लिए विशेष जिम्मेदारियाँ दी गई हैं।
संसद की शक्ति: संसद सिक्किम की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष कानून बना सकती है।
न्यायिक समीक्षा: इस प्रावधान के तहत बनाए गए कानूनों या आदेशों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: सांस्कृतिक संरक्षण: सिक्किम की विशिष्ट पहचान। क्षेत्रीय स्वायत्तता: स्थानीय प्रशासन को शक्ति। राष्ट्रीय एकीकरण: भारत के साथ संतुलन। रणनीतिक महत्व: सिक्किम की सीमा सुरक्षा।
प्रमुख विशेषताएँ: सीटें: विधान सभा में 30+। कानून: पुरानी परंपराओं का संरक्षण। राज्यपाल: विशेष जिम्मेदारी। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1975: सिक्किम का भारत में विलय और अनुच्छेद 371F का समावेश। 1985: सिक्किम में विधान सभा का गठन। 2025 स्थिति: सिक्किम में सांस्कृतिक और प्रशासनिक स्वायत्तता।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 371A-371J: अन्य राज्यों के लिए विशेष उपबंध। 36वां संशोधन: सिक्किम का विलय। छठी अनुसूची: जनजातीय क्षेत्र।
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