Article 371D of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 15:34:36
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371D
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371D
अनुच्छेद 371D भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए विशेष उपबंध (Special provisions with respect to the States of Andhra Pradesh and Telangana) से संबंधित है। यह प्रावधान इन राज्यों में लोक सेवाओं में समान अवसर और क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
(2) इस उद्देश्य के लिए क्षेत्रीय आधार पर जोन बनाए जा सकते हैं।
(3) राष्ट्रपति द्वारा गठित प्रशासकीय अधिकरण (Administrative Tribunals) इन आदेशों से संबंधित विवादों का निपटारा करेंगे।
(4) संसद के कानून इन अधिकरणों के निर्णयों पर लागू नहीं होंगे।
उद्देश्य: अनुच्छेद 371D का उद्देश्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोक सेवाओं और शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करना है, विशेष रूप से क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए। यह प्रावधान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे, तटीय आंध्र, रायलसीमा, तेलंगाना) के बीच संतुलन बनाता है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय समानता, प्रशासनिक निष्पक्षता, और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 371D को 32वें संवैधानिक संशोधन (1973) के तहत जोड़ा गया। यह तेलंगाना आंदोलन (1960-70 के दशक) के बाद क्षेत्रीय असमानताओं को संबोधित करने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: तेलंगाना क्षेत्र में विकास और रोजगार में भेदभाव की शिकायतें थीं, जिसके कारण विशेष उपबंध की आवश्यकता पड़ी। उदाहरण: तेलंगाना में स्थानीय निवासियों के लिए नौकरियों में प्राथमिकता। 2014:आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत तेलंगाना को अलग राज्य बनाया गया, और अनुच्छेद 371D दोनों राज्यों पर लागू हुआ। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में क्षेत्रीय जोन और प्रशासकीय अधिकरणों के माध्यम से समानता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 371D के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोक सेवाओं और शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आदेश जारी कर सकता है। उदाहरण: स्थानीय निवासियों के लिए नौकरी में आरक्षण।
क्षेत्रीय जोन: इन राज्यों को जोन में विभाजित किया जा सकता है, ताकि क्षेत्रीय आधार पर अवसर वितरित हों। उदाहरण: तेलंगाना और तटीय आंध्र के लिए अलग जोन।
प्रशासकीय अधिकरण: राष्ट्रपति द्वारा गठित अधिकरण लोक सेवाओं से संबंधित विवादों का निपटारा करते हैं। इन अधिकरणों के निर्णयों पर संसद के कानून लागू नहीं होते। उदाहरण: आंध्र प्रदेश प्रशासकीय अधिकरण।
न्यायिक समीक्षा: अधिकरणों के निर्णयों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: क्षेत्रीय समानता: तेलंगाना और आंध्र में अवसरों का संतुलन। प्रशासनिक निष्पक्षता: अधिकरणों के माध्यम से विवाद निपटारा। राष्ट्रीय एकीकरण: क्षेत्रीय असंतोष को कम करना। लोक सेवाएँ: स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता।
प्रमुख विशेषताएँ: जोन: क्षेत्रीय विभाजन। अधिकरण: विवाद निपटारा। आदेश: राष्ट्रपति की शक्ति। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1973: अनुच्छेद 371D का समावेश। 2014: तेलंगाना का गठन। 2025 स्थिति: जोन और अधिकरण सक्रिय।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 371E: आंध्र प्रदेश में विश्वविद्यालय। 32वां संशोधन: जोन और अधिकरण। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014।
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