Article 371B of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 15:31:58
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371B
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371B
अनुच्छेद 371B भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह असम राज्य के लिए विशेष उपबंध (Special provision with respect to the State of Assam) से संबंधित है। यह प्रावधान असम के जनजातीय क्षेत्रों, विशेष रूप से बोडोलैंड जैसे क्षेत्रों, में प्रशासन और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
उद्देश्य: अनुच्छेद 371B का उद्देश्य असम के जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्तता, विकास, और प्रशासनिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है। यह प्रावधान असम के जनजातीय समुदायों, जैसे बोडो, मिसिंग, और अन्य, के हितों की रक्षा करता है। इसका लक्ष्य सांस्कृतिक संरक्षण, क्षेत्रीय स्वायत्तता, और राष्ट्रीय एकीकरण के बीच संतुलन बनाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 371B को 22वें संवैधानिक संशोधन (1969) के तहत जोड़ा गया। यह मेघालय को असम से अलग करने और जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: असम में जनजातीय समुदायों की विशिष्ट सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित करने की आवश्यकता थी। उदाहरण: बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) की स्थापना। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान आज भी असम के जनजातीय क्षेत्रों, विशेष रूप से बोडोलैंड, में स्वायत्तता और विकास के लिए प्रासंगिक है।
अनुच्छेद 371B के प्रमुख तत्व
जनजातीय समिति: राष्ट्रपति के आदेश से असम में जनजातीय क्षेत्रों के लिए एक समिति गठित की जा सकती है। इस समिति में विधान सभा के सदस्य शामिल होंगे, जो जनजातीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण: बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के लिए समिति।
स्वायत्तता और प्रशासन: यह समिति जनजातीय क्षेत्रों के विकास, प्रशासन, और हितों की रक्षा सुनिश्चित करती है। उदाहरण: बोडो समुदाय के लिए स्वायत्त प्रशासन।
न्यायिक समीक्षा: समिति के कार्यों और राष्ट्रपति के आदेशों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: सांस्कृतिक संरक्षण: जनजातीय पहचान की रक्षा। क्षेत्रीय स्वायत्तता: बोडोलैंड जैसे क्षेत्रों में स्वशासन। राष्ट्रीय एकीकरण: भारत के साथ संतुलन। प्रशासनिक सुगमता: समितियों के माध्यम से कार्यान्वयन।
प्रमुख विशेषताएँ: समिति: जनजातीय प्रतिनिधित्व। स्वायत्तता: क्षेत्रीय प्रशासन। विकास: जनजातीय हित। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1969: मेघालय के गठन और अनुच्छेद 371B का समावेश। 2003: बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद की स्थापना। 2025 स्थिति: बोडोलैंड और अन्य जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्तता।
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