Article 365 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 15:06:23
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 365
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 365
अनुच्छेद 365 भारतीय संविधान के भाग XIX (विविध) में आता है। यह केंद्र के निर्देशों का पालन न करने का प्रभाव (Effect of failure to comply with, or to give effect to, directions given by the Union) से संबंधित है। यह प्रावधान तब लागू होता है, जब कोई राज्य केंद्र सरकार के वैधानिक निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार संवैधानिक तंत्र की विफलता मान सकती है।
"यदि कोई राज्य इस संविधान के तहत केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने या उन्हें प्रभावी करने में विफल रहता है, तो यह माना जा सकता है कि उस राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार शासन नहीं चलाया जा सकता।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 365 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य केंद्र सरकार के वैधानिक निर्देशों का पालन करें, ताकि संघीय ढांचे में समन्वय और संवैधानिक शासन बना रहे। यदि कोई राज्य इन निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो केंद्र सरकार इसे संवैधानिक तंत्र की विफलता मानकर राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) लागू कर सकती है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकता, संवैधानिक अनुशासन, और केंद्र-राज्य समन्वय को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 365 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह स्वतंत्रता के बाद की आवश्यकता को दर्शाता है, जब केंद्र को राज्यों के साथ समन्वय बनाए रखने के लिए मजबूत शक्तियाँ चाहिए थीं। भारतीय संदर्भ: अनुच्छेद 365 का उपयोग उन मामलों में किया गया, जहाँ राज्यों ने केंद्र के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। उदाहरण: 1959 में केरल में केंद्र के निर्देशों की अवहेलना के बाद राष्ट्रपति शासन। 44वां संवैधानिक संशोधन (1978): 1975 के आपातकाल के दुरुपयोग के बाद, इस संशोधन ने अनुच्छेद 356 और 365 के दुरुपयोग पर नियंत्रण को मजबूत किया।
प्रासंगिकता (2025): डिजिटल युग और जटिल केंद्र-राज्य संबंधों में यह प्रावधान केंद्र को राज्यों पर संवैधानिक अनुशासन लागू करने की शक्ति देता है।
अनुच्छेद 365 के प्रमुख तत्व
केंद्र के निर्देश: केंद्र सरकार को संविधान के तहत राज्यों को निर्देश देने का अधिकार है, विशेष रूप से राष्ट्रीय हित, सुरक्षा, या संवैधानिक शासन से संबंधित मामलों में। उदाहरण: राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों का पालन।
अनुपालन की विफलता: यदि कोई राज्य इन निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो इसे संवैधानिक तंत्र की विफलता माना जा सकता है। यह अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने का आधार बन सकता है। उदाहरण: 1980 के दशक में पंजाब में केंद्र के निर्देशों की अवहेलना।
न्यायिक समीक्षा: केंद्र के निर्देशों और राष्ट्रपति शासन की वैधता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)।
महत्व: संवैधानिक अनुशासन: राज्यों का केंद्र के निर्देशों का पालन। राष्ट्रीय एकता: केंद्र-राज्य समन्वय। लोकतांत्रिक संतुलन: संसदीय और न्यायिक निगरानी। संघीय ढांचा: केंद्र की प्राथमिकता
प्रमुख विशेषताएँ: निर्देश: केंद्र की शक्ति। परिणाम: संवैधानिक विफलता। हस्तक्षेप: राष्ट्रपति शासन। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1959: केरल में केंद्र के निर्देशों की अवहेलना। 1980: पंजाब में आतंकवाद के दौरान राष्ट्रपति शासन। 2016: अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में (न्यायिक समीक्षा द्वारा रद्द)। 2025 स्थिति: कोई सक्रिय मामला नहीं।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन। अनुच्छेद 355: संघ का कर्तव्य। अनुच्छेद 256: केंद्र के निर्देश।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781