Article 359 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 14:46:07
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 359
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 359
अनुच्छेद 359 भारतीय संविधान के भाग XVIII (आपात उपबंध) में आता है। यह राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन (Suspension of the enforcement of the rights conferred by Part III during emergencies) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान कुछ मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित करने की शक्ति देता है, सिवाय अनुच्छेद 20 और 21 के।
"(1) जब अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा लागू हो, तो राष्ट्रपति आदेश द्वारा यह घोषणा कर सकता है कि भाग III (मौलिक अधिकार) के तहत कुछ अधिकारों का प्रवर्तन निलंबित रहेगा, सिवाय अनुच्छेद 20 और 21 के।
(2) ऐसा आदेश पूरे भारत या उसके किसी भाग के लिए हो सकता है।
(3) आदेश को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा।
(4) निलंबन केवल आपातकाल की अवधि तक लागू रहेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 359 का उद्देश्य राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार को यह शक्ति देना है कि वह भाग III (मौलिक अधिकार) के कुछ अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित कर सके, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को प्राथमिकता दी जा सके। यह अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित करता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, और संवैधानिक शासन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 359 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह स्वतंत्रता के बाद की भू-राजनीतिक और आंतरिक चुनौतियों (जैसे, युद्ध, अशांति) को ध्यान में रखकर बनाया गया। 44वां संवैधानिक संशोधन (1978): 1975 के आपातकाल के दुरुपयोग के बाद, इस संशोधन ने अनुच्छेद 20 और 21 को निलंबन से मुक्त रखा, ताकि नागरिकों के मूलभूत अधिकार सुरक्षित रहें। भारतीय संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (1962, 1971, 1975) के दौरान अनुच्छेद 359 का उपयोग मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित करने के लिए किया गया।
उदाहरण: 1975 में आपातकाल के दौरान कई मौलिक अधिकारों का निलंबन।
प्रासंगिकता (2025): भू-राजनीतिक तनावों और डिजिटल युग में यह प्रावधान केंद्र को संकटकाल में शक्तियाँ देता है, लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 359 के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति आदेश द्वारा भाग III के कुछ मौलिक अधिकारों (सिवाय अनुच्छेद 20 और 21) के प्रवर्तन को निलंबित कर सकता है। यह निलंबन पूरे भारत या उसके किसी भाग के लिए हो सकता है। उदाहरण: 1975 में अनुच्छेद 14, 19, आदि के प्रवर्तन का निलंबन।
अनुच्छेद 20 और 21 की सुरक्षा: 44वां संशोधन के बाद, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) किसी भी स्थिति में निलंबित नहीं किए जा सकते। यह नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है।
संसदीय निगरानी: राष्ट्रपति का आदेश संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के समक्ष रखा जाना आवश्यक है। यह लोकतांत्रिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के आदेशों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे मनमानी या असंवैधानिक हों। उदाहरण: मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)
महत्व: राष्ट्रीय सुरक्षा: संकटकाल में केंद्र की शक्तियाँ। सार्वजनिक व्यवस्था: अशांति को नियंत्रित करना। लोकतांत्रिक संतुलन: अनुच्छेद 20 और 21 की सुरक्षा। न्यायिक निगरानी: आदेशों की वैधता।
प्रमुख विशेषताएँ: निलंबन: मौलिक अधिकारों का प्रवर्तन। अपवाद: अनुच्छेद 20 और 21। निगरानी: संसद और कोर्ट। अवधि: आपातकाल तक।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1962: भारत-चीन युद्ध में मौलिक अधिकारों का निलंबन। 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध में उपयोग। 1975: आपातकाल में व्यापक निलंबन (विवादास्पद)। 2025 स्थिति: कोई राष्ट्रीय आपातकाल लागू नहीं।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 352: राष्ट्रीय आपातकाल। अनुच्छेद 358: अनुच्छेद 19 का निलंबन। अनुच्छेद 20 और 21: अपराध और जीवन की सुरक्षा।
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jp Singh
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