Article 358 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-07 14:44:20
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 358
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 358
अनुच्छेद 358 भारतीय संविधान के भाग XVIII (आपात उपबंध) में आता है। यह राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का निलंबन (Suspension of provisions of Article 19 during emergencies) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा (अनुच्छेद 352) के दौरान अनुच्छेद 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों को स्वतः निलंबित करने की व्यवस्था करता है।
"(1) जब अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा लागू हो, जो युद्ध या बाह्य आक्रमण के आधार पर हो, तो अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त अधिकार स्वतः निलंबित हो जाएंगे।
(2) इस निलंबन के तहत बनाए गए कानून या कार्यपालिका के कार्य, जो सामान्य स्थिति में अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करते हों, आपातकाल के दौरान वैध होंगे।
(3) यह निलंबन केवल आपातकाल की अवधि तक लागू रहेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 358 का उद्देश्य राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध या बाह्य आक्रमण) के दौरान अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों (जैसे, वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा करने की स्वतंत्रता) को स्वतः निलंबित करना है। यह केंद्र सरकार को आपातकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, और संवैधानिक शासन को प्राथमिकता देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 358 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह स्वतंत्रता के बाद की भू-राजनीतिक चुनौतियों (जैसे, युद्ध) को ध्यान में रखकर बनाया गया। 44वां संवैधानिक संशोधन (1978): 1975 के आपातकाल के दुरुपयोग के बाद, इस संशोधन ने अनुच्छेद 19 के निलंबन को केवल युद्ध या बाह्य आक्रमण तक सीमित किया, न कि सशस्त्र विद्रोह के लिए। भारतीय संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान (1962, 1971, 1975) अनुच्छेद 19 के अधिकार निलंबित किए गए।
उदाहरण: 1975 में प्रेस सेंसरशिप लागू करना। प्रासंगिकता (2025): भू-राजनीतिक तनावों और डिजिटल युग में यह प्रावधान केंद्र को संकटकाल में सूचना और अभिव्यक्ति पर नियंत्रण की शक्ति देता है, लेकिन इसका दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरती जाती है।
अनुच्छेद 358 के प्रमुख तत्व
स्वतः निलंबन: राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध या बाह्य आक्रमण) की उद्घोषणा के साथ ही अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं।
इसमें शामिल हैं: वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a))।
शांतिपूर्ण सभा करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(b))।
संगठन बनाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(c))।
देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(d))।
निवास और बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(e))।
व्यवसाय की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(g))। उदाहरण: 1971 के युद्ध में प्रेस और सभाओं पर प्रतिबंध।
कानून और कार्यपालिका कार्य: आपातकाल के दौरान बनाए गए कानून या कार्यपालिका के कार्य, जो सामान्य स्थिति में अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करते हों, वैध माने जाएंगे। उदाहरण: 1975 में प्रेस सेंसरशिप कानून।
अवधि: निलंबन केवल आपातकाल की अवधि तक लागू रहता है। आपातकाल समाप्त होने पर अनुच्छेद 19 के अधिकार स्वतः बहाल हो जाते हैं।
न्यायिक समीक्षा: आपातकाल के दौरान बनाए गए कानूनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे अनुच्छेद 19 से परे अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हों। 44वां संशोधन ने न्यायिक समीक्षा की संभावना को मजबूत किया। उदाहरण: मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)।
महत्व: राष्ट्रीय सुरक्षा: संकटकाल में सूचना और व्यवस्था पर नियंत्रण। सार्वजनिक व्यवस्था: दंगे और अशांति को रोकना। लोकतांत्रिक संतुलन: आपातकाल के बाद अधिकारों की बहाली। संघीय ढांचा: केंद्र की सशक्त भूमिका।
प्रमुख विशेषताएँ: निलंबन: अनुच्छेद 19 के अधिकार। आधार: युद्ध या बाह्य आक्रमण। अवधि: आपातकाल तक। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1962: भारत-चीन युद्ध में प्रेस और सभाओं पर नियंत्रण। 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध में अनुच्छेद 19 का निलंबन। 1975: आपातकाल में प्रेस सेंसरशिप (विवादास्पद)। 2025 स्थिति: कोई राष्ट्रीय आपातकाल लागू नहीं।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 352: राष्ट्रीय आपातकाल। अनुच्छेद 19: वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 359: मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781