Article 351 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:28:45
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 351
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 351
अनुच्छेद 351 भारतीय संविधान के भाग XVII (राजभाषा) में आता है। यह हिंदी भाषा के विकास (Directive for development of the Hindi language) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार को हिंदी भाषा के विकास और प्रचार के लिए निर्देश देता है, ताकि यह भारत की समग्र सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को व्यक्त करने का माध्यम बन सके।
"अनुच्छेद 351 का पाठका प्रसार, वृद्धि और विकास करे, ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके, और इसके लिए वह अन्य भारतीय भाषाओं और विशेष रूप से आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं के शब्दों और रूपों को आत्मसात करे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 351 का उद्देश्य हिंदी भाषा को भारत की संघ की राजभाषा के रूप में विकसित और प्रचारित करना है। यह हिंदी को भारत की समग्र सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बनाने का निर्देश देता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक समावेश, और भाषाई विकास को बढ़ावा देना है, साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं के साथ समन्वय सुनिश्चित करना।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 351 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह स्वतंत्रता के बाद हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की आवश्यकता को दर्शाता है, साथ ही भारत की बहुभाषी प्रकृति को ध्यान में रखता है। भारतीय संदर्भ: भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ (आठवीं अनुसूची में) और सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएँ हैं। अनुच्छेद 351 हिंदी को एक समावेशी भाषा के रूप में विकसित करने का प्रयास करता है, जो अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों और रूपों को आत्मसात करे।
उदाहरण:हिंदी में तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली का विकास। प्रासंगिकता (2025): डिजिटल युग में, हिंदी का उपयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म, शिक्षा, और प्रशासन में बढ़ रहा है, विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत।
अनुच्छेद 351 के प्रमुख तत्व
हिंदी का विकास: संघ सरकार का कर्तव्य है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार, वृद्धि, और विकास करे। हिंदी को भारत की सामासिक संस्कृति (सभी सांस्कृतिक तत्वों) को व्यक्त करने का माध्यम बनाना। उदाहरण: केंद्रीय हिंदी निदेशालय और हिंदी शब्दकोशों का प्रकाशन।
अन्य भारतीय भाषाओं का समावेश: हिंदी के विकास में आठवीं अनुसूची की भाषाओं और अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों और रूपों को आत्मसात करना। यह सुनिश्चित करता है कि हिंदी एक समावेशी भाषा बने, न कि अन्य भाषाओं के लिए खतरा। उदाहरण: हिंदी में संस्कृत, तमिल, और बंगाली शब्दों का उपयोग।
न्यायिक समीक्षा: हिंदी के विकास से संबंधित नीतियों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है, विशेष रूप से यदि वे अन्य भाषाओं के साथ भेदभाव करती हों। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि नीति संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14 और 29) का पालन करे। उदाहरण: हिंदी थोपने के खिलाफ याचिकाएँ।
प्रशासनिक दक्षता: हिंदी का उपयोग प्रशासन और शिक्षा में।
प्रमुख विशेषताएँ: कर्तव्य: संघ सरकार का हिंदी विकास। समावेश: अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द। उद्देश्य: सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति। न्यायिक निगरानी: नीति की वैधता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950: हिंदी को राजभाषा के रूप में स्थापित। 1963: आधिकारिक भाषा अधिनियम ने हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहित किया। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में हिंदी का उपयोग।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा। अनुच्छेद 344: राजभाषा आयोग और समिति। अनुच्छेद 350A: मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा। आठवीं अनुसूची: 22 अनुसूचित भाषाएँ।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781