Article 346 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:17:35
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 346
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 346
अनुच्छेद 346 भारतीय संविधान के भाग XVII (राजभाषा) में आता है। यह संघ और राज्यों के बीच या राज्यों के आपसी संचार के लिए राजभाषा (Official language for communication between one State and another or between a State and the Union) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच या विभिन्न राज्यों के बीच आधिकारिक संचार के लिए भाषा को निर्धारित करता है।
"किसी राज्य और संघ के बीच या दो राज्यों के बीच शासकीय संचार के लिए राजभाषा वही होगी जो उस राज्य की राजभाषा है, बशर्ते कि यदि दो या अधिक राज्यों ने आपस में सहमति दी हो कि हिंदी उनके बीच संचार की भाषा होगी, तो हिंदी का उपयोग किया जाएगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 346 का उद्देश्य संघ और राज्यों या राज्यों के बीच आधिकारिक संचार के लिए भाषा का निर्धारण करना है। यह भारत की बहुभाषी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और संचार में स्पष्टता सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकीकरण, संघीय ढांचे में संतुलन, और प्रशासनिक सुगमता को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 346 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह अनुच्छेद 343 (संघ की राजभाषा) और अनुच्छेद 345 (राज्यों की राजभाषा) के पूरक के रूप में कार्य करता है। भारतीय संदर्भ: भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ और सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएँ हैं। अनुच्छेद 346 ने केंद्र और राज्यों के बीच संचार में एकरूपता लाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी को प्राथमिकता दी, साथ ही राज्यों की सहमति से हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963:इसने केंद्र और राज्यों के बीच संचार में अंग्रेजी के उपयोग को अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति दी। प्रासंगिकता (2025): डिजिटल युग में, केंद्र और राज्यों के बीच संचार में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का उपयोग बढ़ रहा है, विशेष रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-गवर्नेंस में।
अनुच्छेद 346 के प्रमुख तत्व
संघ और राज्यों के बीच संचार: संघ और किसी राज्य के बीच संचार के लिए, उस राज्य की राजभाषा (अनुच्छेद 345 के तहत) या हिंदी/अंग्रेजी (अनुच्छेद 343 के तहत) का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: केंद्र और तमिलनाडु के बीच संचार में तमिल और अंग्रेजी का उपयोग।
राज्यों के बीच संचार: दो राज्यों के बीच संचार के लिए, उनकी सहमति के आधार पर हिंदी का उपयोग किया जा सकता है। यदि सहमति नहीं है, तो अंग्रेजी का उपयोग आमतौर पर होता है। उदाहरण: उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच हिंदी में संचार।
न्यायिक समीक्षा: संचार की भाषा से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि भाषा नीति संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करे। उदाहरण: हिंदी थोपने के खिलाफ याचिकाएँ।
महत्व: प्रशासनिक दक्षता: केंद्र और राज्यों के बीच संचार में स्पष्टता। राष्ट्रीय एकीकरण: हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहन। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में भाषाई संतुलन। सांस्कृतिक विविधता: क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान।
प्रमुख विशेषताएँ: संचार: संघ-राज्य और राज्य-राज्य। भाषा: हिंदी, अंग्रेजी, या क्षेत्रीय भाषा। सहमति: राज्यों के बीच हिंदी के उपयोग के लिए। न्यायिक निगरानी: नीति की वैधता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1956: भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन, जिसने क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ाया। 1963: आधिकारिक भाषा अधिनियम ने संचार में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी। 2025 स्थिति: डिजिटल संचार में हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा। अनुच्छेद 344: राजभाषा आयोग और समिति। अनुच्छेद 345: राज्यों की राजभाषा। अनुच्छेद 351: हिंदी का विकास। आठवीं अनुसूची: 22 अनुसूचित भाषाएँ।
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