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Article 344 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 18:15:09
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 344

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 344
अनुच्छेद 344 भारतीय संविधान के भाग XVII (राजभाषा) में आता है। यह राजभाषा आयोग और संसद की समिति (Commission and Committee of Parliament on official language) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को राजभाषा के उपयोग की प्रगति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त करने और संसद को एक समिति गठित करने की शक्ति देता है, ताकि संघ की राजभाषा (हिंदी और अंग्रेजी) के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
"(1) राष्ट्रपति, संविधान के प्रारंभ से पाँच वर्ष बाद और उसके बाद प्रत्येक दस वर्ष के अंत में, एक आयोग नियुक्त करेगा, जिसमें एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य होंगे, जो राजभाषा के उपयोग की प्रगति की जाँच करेंगे और अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेंगे।
(2) संसद, एक समिति गठित करेगी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होंगे, जो आयोग की सिफारिशों की जाँच करेगी और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगी।
(3) राष्ट्रपति आयोग और समिति की सिफारिशों पर विचार करेगा और उनके आधार पर निर्देश जारी कर सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 344 का उद्देश्य संघ की राजभाषा (हिंदी और अंग्रेजी) के उपयोग की प्रगति की निगरानी करना और हिंदी को धीरे-धीरे लागू करने के लिए उपाय सुझाना है। यह भारत की बहुभाषी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एकीकरण और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देता है। इसका लक्ष्य हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहन, अंग्रेजी की भूमिका को संतुलित करना, और भाषाई समावेश सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 344 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह अनुच्छेद 343 (संघ की राजभाषा) के पूरक के रूप में कार्य करता है, जो हिंदी और अंग्रेजी को राजभाषा के रूप में स्थापित करता है।
आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963: 1965 में हिंदी को पूरी तरह लागू करने की समयसीमा के निकट आने पर, गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में विरोध के कारण अंग्रेजी का उपयोग अनिश्चितकाल तक जारी रखा गया। अनुच्छेद 344 ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक तंत्र प्रदान किया।
भारतीय संदर्भ: भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ और सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएँ हैं। अनुच्छेद 344 ने हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को संतुलित करने की कोशिश की।
प्रासंगिकता (2025): हिंदी का उपयोग डिजिटल प्रशासन, सरकारी योजनाओं, और जनसंचार में बढ़ रहा है, जबकि अंग्रेजी तकनीकी और कानूनी कार्यों में प्रासंगिक बनी हुई है।
अनुच्छेद 344 के प्रमुख तत्व
खंड (1): राजभाषा आयोग: राष्ट्रपति संविधान लागू होने के पाँच वर्ष (1955) और उसके बाद प्रत्येक दस वर्ष के अंत में एक आयोग नियुक्त करता है। आयोग में एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य होते हैं, जो राजभाषा के उपयोग की प्रगति की जाँच करते हैं और सिफारिशें प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण: पहला राजभाषा आयोग (1955)।
खंड (2): संसद की समिति: संसद एक समिति गठित करती है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के 30 सदस्य (20 लोकसभा, 10 राज्यसभा) शामिल होते हैं। यह समिति आयोग की सिफारिशों की जाँच करती है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपती है। उदाहरण: संसदीय राजभाषा समिति की वार्षिक रिपोर्ट।
खंड (3): राष्ट्रपति के निर्देश: राष्ट्रपति आयोग और समिति की सिफारिशों पर विचार करता है और उनके आधार पर निर्देश जारी कर सकता है। ये निर्देश हिंदी और अंग्रेजी के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। उदाहरण: हिंदी प्रशिक्षण और अनुवाद पर सरकारी निर्देश।
न्यायिक समीक्षा: राजभाषा नीति और निर्देशों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि भाषा नीति संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करे। उदाहरण: हिंदी थोपने के खिलाफ याचिकाएँ।
महत्व: राष्ट्रीय एकीकरण: हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना। प्रशासनिक निरंतरता: अंग्रेजी और हिंदी का संतुलित उपयोग। सांस्कृतिक पहचान: निर्देश: राष्ट्रपति द्वारा। न्यायिक निगरानी: नीति की वैधता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1955: पहला राजभाषा आयोग (अध्यक्ष: बी.जी. खेर)। 1963: आधिकारिक भाषा अधिनियम द्वारा अंग्रेजी का उपयोग जारी। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में हिंदी का बढ़ता उपयोग।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा। अनुच्छेद 345: राज्यों की राजभाषा। अनुच्छेद 351: हिंदी का विकास। आठवीं अनुसूची: 22 अनुसूचित भाषाएँ।
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