Article 343 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:13:49
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343
अनुच्छेद 343 भारतीय संविधान के भाग XVII (राजभाषा) में आता है। यह संघ की राजभाषा (Official language of the Union) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार के आधिकारिक कार्यों के लिए हिंदी और अंग्रेजी को राजभाषा के रूप में स्थापित करता है और एक निश्चित अवधि तक अंग्रेजी के उपयोग को बनाए रखने की व्यवस्था करता है।
"(1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।
(2) इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक (1965 तक), संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग जारी रहेगा, जिनके लिए यह तत्काल पहले प्रयोग की जा रही थी।
(3) संसद, कानून द्वारा, इस अवधि के बाद अंग्रेजी के उपयोग को नियंत्रित या प्रतिबंधित कर सकती है, और हिंदी या अन्य भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दे सकती है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 343 का उद्देश्य संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करना और देवनागरी लिपि को अपनाना है, साथ ही अंग्रेजी को एक निश्चित अवधि तक सहायक भाषा के रूप में उपयोग करना। यह भारत की बहुभाषी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक पहचान, और प्रशासनिक निरंतरता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 343 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह स्वतंत्रता के बाद भारत की भाषाई विविधता और ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजी के व्यापक उपयोग को संतुलित करने की आवश्यकता को दर्शाता है। आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963: 1965 के बाद हिंदी को पूरी तरह लागू करने में चुनौतियों के कारण, संसद ने अंग्रेजी के उपयोग को कुछ प्रयोजनों (जैसे, केंद्रीय कानून, संसद, और उच्च न्यायालयों) के लिए अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति दी।
भारतीय संदर्भ: भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ और सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएँ हैं। अनुच्छेद 343 ने हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की कोशिश की, लेकिन गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों (विशेष रूप से दक्षिण भारत) में विरोध के कारण अंग्रेजी को सहायक भाषा के रूप में बनाए रखा गया।
प्रासंगिकता (2025): हिंदी और अंग्रेजी दोनों केंद्र सरकार के कार्यों में उपयोग होती हैं, विशेष रूप से डिजिटल प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में। हिंदी का उपयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म और सरकारी योजनाओं में बढ़ रहा है।
अनुच्छेद 343 के प्रमुख तत्व
खंड (1): हिंदी और देवनागरी: हिंदी को संघ की राजभाषा और देवनागरी को इसकी लिपि घोषित किया गया। भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप (0-9) आधिकारिक उपयोग के लिए अपनाया गया। उदाहरण: संसद और केंद्रीय मंत्रालयों में हिंदी का उपयोग।
खंड (2): अंग्रेजी का उपयोग: संविधान लागू होने के बाद पहले 15 वर्षों (1950-1965) तक, अंग्रेजी का उपयोग सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए जारी रहा। यह ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित प्रशासनिक प्रणाली की निरंतरता सुनिश्चित करता था। उदाहरण: केंद्रीय कानून और संसद की कार्यवाही में अंग्रेजी।
खंड (3): संसद की शक्ति: संसद कानून द्वारा अंग्रेजी के उपयोग को नियंत्रित या प्रतिबंधित कर सकती है और हिंदी या अन्य भाषाओं को बढ़ावा दे सकती है। आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 ने अंग्रेजी को सहायक भाषा के रूप में बनाए रखा। उदाहरण: हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियाँ।
न्यायिक समीक्षा: राजभाषा से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि भाषा नीति संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करे। उदाहरण: हिंदी थोपने के खिलाफ याचिकाएँ (विशेष रूप से गैर-हिंदी भाषी राज्यों से)। - संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में भाषाई संतुलन।
प्रमुख विशेषताएँ: राजभाषा: हिंदी और देवनागरी। सहायक भाषा: अंग्रेजी (1965 के बाद भी)। संसद की शक्ति: भाषा नीति को नियंत्रित करना। न्यायिक निगरानी: नीति की वैधता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950: हिंदी को राजभाषा घोषित। 1963: आधिकारिक भाषा अधिनियम द्वारा अंग्रेजी का उपयोग जारी। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में हिंदी का बढ़ता उपयोग।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 344: राजभाषा आयोग और समिति। अनुच्छेद 345: राज्यों की राजभाषा। अनुच्छेद 351: हिंदी का विकास। आठवीं अनुसूची: 22 अनुसूचित भाषाएँ।
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