Article 342A of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:12:17
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 342A
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 342A
अनुच्छेद 342A भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह "(1) राष्ट्रपति, संसद के किसी कानून के अधीन, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उन सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को अधिसूचित कर सकता है, जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए केंद्र सरकार की सेवाओं और योजनाओं के लिए पिछड़े वर्ग माने जाएँगे।
(2) संसद, कानून द्वारा, ऐसी केंद्रीय सूची में किसी वर्ग को शामिल कर सकती है या उसे बाहर कर सकती है।
(3) प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अपनी सेवाओं और योजनाओं के लिए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी सूची अधिसूचित कर सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 342A का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) की केंद्रीय सूची को अधिसूचित करना और उनके लिए संवैधानिक लाभ (जैसे, आरक्षण, शिक्षा, और रोजगार) सुनिश्चित करना है। यह केंद्र और राज्यों के बीच OBC सूची के अधिकारों को स्पष्ट करता है। इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय, समानता, और लोकतांत्रिक समावेश को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 342A को 102वें संवैधानिक संशोधन (2018) द्वारा जोड़ा गया। यह मंडल आयोग (1980) और इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992) मामले के बाद OBC के लिए आरक्षण नीति को मजबूत करने का हिस्सा था। 102वां संशोधन (2018): इसने OBC की केंद्रीय सूची को अधिसूचित करने की शक्ति केंद्र सरकार को दी और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (अनुच्छेद 338B) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
प्रारंभ में, इसने राज्यों की OBC सूची बनाने की शक्ति को सीमित कर दिया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। 126वां संशोधन (2021): इसने अनुच्छेद 342A(3) जोड़ा, जिसने राज्यों को उनकी अपनी OBC सूचियाँ अधिसूचित करने की शक्ति बहाल की। यह मराठा आरक्षण मामले (2021) के बाद हुआ, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने राज्यों की शक्ति को स्पष्ट करने की आवश्यकता बताई। भारतीय संदर्भ: OBC भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं। अनुच्छेद 342A ने केंद्र और राज्यों के बीच OBC सूची के लिए एक संतुलित ढांचा स्थापित किया।
प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान OBC के लिए शिक्षा, रोजगार, और डिजिटल समावेश सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से केंद्र और राज्य स्तर की नीतियों में।
अनुच्छेद 342A के प्रमुख तत्व:
खंड (1): राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सेवाओं और योजनाओं के लिए सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा OBC की केंद्रीय सूची घोषित कर सकता है। यह सूची संविधान के प्रयोजनों (जैसे, अनुच्छेद 15(4), 16(4)) के लिए लागू होती है। उदाहरण: केंद्रीय OBC सूची, 1993 (संशोधित समय-समय पर)।
खंड (2): संसद की शक्ति: संसद कानून द्वारा इस केंद्रीय सूची में किसी वर्ग को शामिल या बाहर कर सकती है। राष्ट्रपति की अधिसूचना को केवल संसद ही संशोधित कर सकती है। उदाहरण: OBC सूची (संशोधन) अधिनियम।
खंड (3): राज्यों की शक्ति: प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अपनी सेवाओं और योजनाओं के लिए अपनी OBC सूची अधिसूचित कर सकता है। यह 126वें संशोधन (2021) द्वारा जोड़ा गया। उदाहरण: महाराष्ट्र की OBC सूची में मराठा समुदाय का समावेश (विवादित)।
न्यायिक समीक्षा: OBC सूची से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि अधिसूचना और संशोधन संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14 और 16) का पालन करें। उदाहरण: मराठा आरक्षण मामला (2021)।
महत्व: सामाजिक न्याय: OBC के लिए भेदभाव का निवारण। लोकतांत्रिक समावेश: OBC का शिक्षा, रोजगार, और प्रशासन में प्रतिनिधित्व। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच OBC सूची में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: अधिसूचना की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: अधिसूचना: राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय OBC सूची। संशोधन: संसद और राज्यों द्वारा। लाभ: शिक्षा, रोजगार, और आरक्षण। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच। ऐतिहासिक उदाहरण: - डिजिटल युग में OBC समावेश।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 338B: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग। अनुच्छेद 15(4): OBC के लिए विशेष उपबंध। अनुच्छेद 16(4): OBC के लिए आरक्षण। अनुच्छेद 340: OBC की जाँच के लिए आयोग।
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jp Singh
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