Article 341 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:09:09
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 341
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 341
अनुच्छेद 341 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes - SC) की अधिसूचना (Scheduled Castes) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को अनुसूचित जातियों की सूची को अधिसूचित करने और संसद को इसे संशोधित करने की शक्ति देता है।
"(1) राष्ट्रपति, किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में, संसद के किसी कानून के अधीन, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उन जातियों, नस्लों, या जनजातियों को अनुसूचित जातियाँ घोषित कर सकता है, जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुसूचित जातियाँ मानी जाएँगी।
(2) संसद, कानून द्वारा, ऐसी सूची में किसी जाति, नस्ल, या जनजाति को शामिल कर सकती है या उसे बाहर कर सकती है, लेकिन राष्ट्रपति की अधिसूचना को केवल संसद ही संशोधित कर सकती है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 341 का उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC) की पहचान करना और उन्हें संवैधानिक लाभ (जैसे, आरक्षण, सुरक्षा उपाय) प्रदान करना है। यह सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों के लिए सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य सामाजिक समावेश, समानता, और लोकतांत्रिक समावेश को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 341 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें "अनुसूचित जातियों" की अवधारणा शुरू हुई थी।
भारतीय संदर्भ: अनुसूचित जातियाँ वे समुदाय हैं, जो ऐतिहासिक रूप से छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का शिकार रहे हैं। अनुच्छेद 341 ने इन समुदायों को संवैधानिक सुरक्षा और लाभ प्रदान करने के लिए एक औपचारिक ढांचा स्थापित किया। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान SC के लिए शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक समावेश को सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से डिजिटल युग और तकनीकी क्षेत्रों में।
अनुच्छेद 341 के प्रमुख तत्व
खंड (1): राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के लिए सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा अनुसूचित जातियों की सूची घोषित कर सकता है। यह सूची संविधान के प्रयोजनों (जैसे, अनुच्छेद 15, 16, 330, 332) के लिए लागू होती है। उदाहरण: अनुसूचित जाति और जनजाति (अधिसूचना) आदेश, 1950।
खंड (2): संसद की शक्ति: संसद कानून द्वारा इस सूची में किसी जाति, नस्ल, या जनजाति को शामिल या बाहर कर सकती है। राष्ट्रपति की अधिसूचना को केवल संसद ही संशोधित कर सकती है, जिससे यह प्रक्रिया संवैधानिक रूप से सुरक्षित रहती है। उदाहरण: अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, 1956।
न्यायिक समीक्षा: अनुसूचित जातियों की सूची से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि अधिसूचना और संशोधन संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करें। उदाहरण: E.V. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश (2005)।
महत्व: सामाजिक न्याय: SC के खिलाफ भेदभाव का निवारण। लोकतांत्रिक समावेश: SC का शिक्षा, रोजगार, और प्रशासन में प्रतिनिधित्व। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: अधिसूचना की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: अधिसूचना: राष्ट्रपति द्वारा SC की सूची। संशोधन: संसद द्वारा। लाभ: शिक्षा, रोजगार, और आरक्षण। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950: पहली SC अधिसूचना। 1956: SC सूची में संशोधन। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में SC के लिए समावेश।
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