Article 340 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 18:07:18
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340
अनुच्छेद 340 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच और उनके लिए उपायों की सिफारिश (Appointment of a Commission to investigate the conditions of backward classes) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (Other Backward Classes - OBC) की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त करने और उनके कल्याण के लिए उपाय सुझाने की शक्ति देता है।
"(1) राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त कर सकता है और उनके कठिनाइयों को दूर करने के लिए उपाय सुझाने के लिए निर्देश दे सकता है।
(2) आयोग ऐसी जाँच करेगा और अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा, जो इसे संसद के समक्ष रखेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 340 का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) की स्थिति की जाँच करना और उनके उत्थान के लिए उपाय सुझाना है। यह OBC के लिए शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है। इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय, समानता, और लोकतांत्रिक समावेश को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 340 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए विशेष उपायों की आवश्यकता को मान्यता देता है। प्रमुख आयोग: कालेलकर आयोग (1953):पहला पिछड़ा वर्ग आयोग, जिसने OBC की पहचान और वर्गीकरण की सिफारिश की। इसकी सिफारिशें पूरी तरह लागू नहीं हुईं। मंडल आयोग (1979-1980):इसने OBC के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की, जिसे 1990 में लागू किया गया।
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992) मामले में इसकी वैधता की पुष्टि हुई। भारतीय संदर्भ: OBC भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं। अनुच्छेद 340 ने उनके लिए नीतिगत ढांचा प्रदान किया। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान OBC के लिए शिक्षा, रोजगार, और डिजिटल समावेश को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से 102वें संवैधानिक संशोधन (2018) के बाद, जिसने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया।
अनुच्छेद 340 के प्रमुख तत्व
खंड (1): आयोग की नियुक्ति: राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त कर सकता है। आयोग को OBC की कठिनाइयों को दूर करने के लिए उपाय सुझाने का निर्देश दिया जाता है। उदाहरण: मंडल आयोग (1979)।
खंड (2): आयोग की जाँच और रिपोर्ट: आयोग OBC की स्थिति की जाँच करता है और अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के समक्ष रखता है। उदाहरण: मंडल आयोग की 27% आरक्षण की सिफारिश।
न्यायिक समीक्षा: आयोग की सिफारिशों और OBC आरक्षण से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि ये उपाय संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14 और 16) का पालन करें। उदाहरण: इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992)।
महत्व: सामाजिक न्याय: OBC के लिए समान अवसर। लोकतांत्रिक समावेश: OBC का शिक्षा और रोजगार में प्रतिनिधित्व। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: सिफारिशों और नीतियों की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आयोग: OBC की जाँच के लिए। सिफारिशें: कल्याण उपाय। रिपोर्ट: राष्ट्रपति और संसद को। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1953: कालेलकर आयोग की स्थापना। 1980: मंडल आयोग की सिफारिशें। 1992: अनुच्छेद 16(4): OBC के लिए आरक्षण। अनुच्छेद 342A: OBC की अधिसूचना।
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jp Singh
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