Article 339 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:58:14
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 339
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 339
अनुच्छेद 339 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और कल्याण के लिए नियंत्रण (Control over the administration of Scheduled Areas and the welfare of Scheduled Tribes) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार को अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों (ST) के कल्याण के लिए विशेष उपाय करने और उनके प्रशासन की निगरानी करने की शक्ति देता है।
"(1) केंद्र सरकार अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उनके प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए निर्देश दे सकती है।
(2) संविधान के प्रारंभ के बाद पाँचवें वर्ष के अंत में और इसके बाद दसवें वर्ष के अंत में, राष्ट्रपति अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों के प्रशासन की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त करेगा, जो अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा, और वह इसे संसद के समक्ष रखेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 339 का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों (ST) के प्रशासन और कल्याण को सुनिश्चित करना है। यह केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों में विकास और सामाजिक न्याय के लिए नीतियाँ बनाने और लागू करने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य सामाजिक समावेश, आदिवासी कल्याण, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 339 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्थाएँ थीं। भारतीय संदर्भ: अनुसूचित जनजातियाँ भारत के आदिवासी समुदाय हैं, जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित रहे हैं। अनुच्छेद 339 ने उनके कल्याण और प्रशासन के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान किया। आयोग: अनुच्छेद 339(2) के तहत नियुक्त आयोगों ने समय-समय पर अनुसूचित क्षेत्रों और ST के प्रशासन की समीक्षा की। उदाहरण: भूरिया आयोग (1995) ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश की।
प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि, वन, और शिक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्रित है, विशेष रूप से वन अधिकार अधिनियम, 2006 और डिजिटल समावेश के संदर्भ में।
अनुच्छेद 339 के प्रमुख तत्व
खंड (1): केंद्र का नियंत्रण: केंद्र सरकार अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और कल्याण के लिए निर्देश दे सकती है। यह पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू होता है। उदाहरण: वन अधिकारों और आदिवासी कल्याण योजनाओं पर केंद्र के निर्देश।
खंड (2): आयोग की नियुक्ति: संविधान लागू होने के बाद पाँचवें वर्ष (1955) और दसवें वर्ष (1960) में, और उसके बाद आवश्यकतानुसार, राष्ट्रपति एक आयोग नियुक्त करता है। यह आयोग अनुसूचित क्षेत्रों और ST के प्रशासन की जाँच करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो इसे संसद के समक्ष रखता है। उदाहरण: दिलीप सिंह भूरिया आयोग (1995)।
न्यायिक समीक्षा: केंद्र के निर्देशों और आयोग की सिफारिशों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि ये उपाय संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करें। उदाहरण: वन अधिकार अधिनियम पर कोर्ट की समीक्षा।
महत्व: सामाजिक न्याय: ST के लिए भूमि, शिक्षा, और रोजगार में समावेश। लोकतांत्रिक समावेश: आदिवासी समुदायों की आवाज प्रशासन में। संघीय ढांचा: रिपोर्ट: राष्ट्रपति और संसद को। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1955: पहला आयोग नियुक्त। 1995: भूरिया आयोग ने पंचायती राज की सिफारिश की। 2025 स्थिति: वन अधिकार और डिजिटल समावेश पर जोर।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 338A: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग। अनुच्छेद 335: SC/ST के लिए सेवाएँ। अनुच्छेद 330-332: SC/ST के लिए आरक्षण। पांचवीं अनुसूची: अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन।
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jp Singh
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