Article 338B of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:56:45
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338B
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338B
अनुच्छेद 338B भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) से संबंधित है। यह प्रावधान सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (Other Backward Classes - OBC) के हितों की रक्षा और उनके सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक स्वतंत्र संवैधानिक आयोग की स्थापना और उसके कार्यों को निर्धारित करता है।
"(1) सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए एक राष्ट्रीय आयोग होगा, जिसे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग कहा जाएगा।
(2) आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और अन्य सदस्य होंगे, जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करेगा।
(3) आयोग का कर्तव्य होगा कि वह OBC के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों की निगरानी करे, उनकी शिकायतों की जाँच करे, और उनके कल्याण के लिए सिफारिशें करे।
(4) आयोग को अपनी जाँच में सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
(5) आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा, जो इसे संसद के समक्ष रखेगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 338B का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) के हितों की रक्षा करना और उनके सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करना है। यह आयोग OBC के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों (जैसे, अनुच्छेद 15(4), 16(4)) की निगरानी करता है और भेदभाव की शिकायतों की जाँच करता है। इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय, समानता, और लोकतांत्रिक समावेश को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 338B को 102वें संवैधानिक संशोधन (2018) द्वारा जोड़ा गया। इससे पहले, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 1993 के अधिनियम के तहत एक वैधानिक निकाय था, जिसकी शक्तियाँ सीमित थीं। 102वां संशोधन (2018): इसने आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, जिससे इसकी शक्तियाँ और स्वायत्तता बढ़ी। यह मंडल आयोग (1980) की सिफारिशों और इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992) मामले के बाद OBC के लिए आरक्षण की नीति को लागू करने का परिणाम था।
भारतीय संदर्भ: OBC समुदाय भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं। अनुच्छेद 338B ने उनकी विशिष्ट समस्याओं (जैसे, शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक भेदभाव) को संबोधित करने के लिए एक समर्पित तंत्र प्रदान किया। प्रासंगिकता (2025): यह आयोग OBC के लिए शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक समावेश सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से डिजिटल युग और तकनीकी क्षेत्रों में।
अनुच्छेद 338B के प्रमुख तत्व
आयोग की स्थापना: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करता है। उदाहरण: 2025 में आयोग के अध्यक्ष (वर्तमान जानकारी के आधार पर अपडेट आवश्यक)।
आयोग के कर्तव्य: संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों (जैसे, OBC के लिए आरक्षण) की निगरानी। OBC के खिलाफ भेदभाव की शिकायतों की जाँच। उनके कल्याण के लिए नीतियों और योजनाओं पर सिफारिशें। उदाहरण: OBC के लिए आरक्षण नीति के कार्यान्वयन की निगरानी।
शक्तियाँ: आयोग को सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्राप्त हैं, जैसे गवाहों को बुलाना और दस्तावेजों की माँग करना। उदाहरण: OBC आरक्षण उल्लंघन की जाँच।
रिपोर्ट: आयोग अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो इसे संसद के समक्ष रखता है। उदाहरण: OBC के लिए शैक्षिक और रोजगार योजनाओं पर सिफारिशें।
महत्व: सामाजिक न्याय: OBC के खिलाफ भेदभाव का निवारण। लोकतांत्रिक समावेश: OBC का प्रशासन और समाज में प्रतिनिधित्व। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: आयोग की सिफारिशों की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आयोग: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग। कर्तव्य: निगरानी, जाँच, सिफारिश। शक्तियाँ: सिविल कोर्ट की तरह। रिपोर्ट: राष्ट्रपति और संसद को।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993: वैधानिक आयोग की स्थापना। 2018: 102वां संशोधन द्वारा संवैधानिक दर्जा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में OBC के लिए समावेश।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 338: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग। अनुच्छेद 338A: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग। अनुच्छेद 15(4): OBC के लिए विशेष उपबंध। अनुच्छेद 16(4): OBC के लिए आरक्षण। अनुच्छेद 340: OBC की पहचान।
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jp Singh
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