Article 336 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:49:21
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 336
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 336
अनुच्छेद 336 का उपयोग अब प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि यह आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंधों से संबंधित था, जो संविधान लागू होने के बाद एक निश्चित अवधि तक सीमित थे।
अनुच्छेद 336 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध (Special provision for Anglo-Indian community in certain services) से संबंधित है। यह प्रावधान आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए सरकारी सेवाओं में कुछ विशेष सुविधाएँ और आरक्षण प्रदान करता था, विशेष रूप से डाक, टेलीग्राफ, रेलवे, और सीमा शुल्क सेवाओं में, जो संविधान लागू होने के बाद एक निश्चित अवधि तक सीमित था।
"(1) इस संविधान के प्रारंभ के बाद पहले दो वर्षों के दौरान, डाक और टेलीग्राफ, रेलवे, सीमा शुल्क, और अन्य समान सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए वे सुविधाएँ और विशेषाधिकार बरकरार रहेंगे, जो उन्हें तत्काल पहले प्राप्त थे।
(2) पहले दो वर्षों के बाद, ये सुविधाएँ और विशेषाधिकार हर दो वर्ष में 10% की दर से कम होते जाएँगे, जब तक कि वे पूरी तरह समाप्त न हो जाएँ।"
वर्तमान स्थिति (2025): - अनुच्छेद 336 अब अप्रासंगिक है, क्योंकि यह प्रावधान संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के बाद 10 वर्षों (1960 तक) में पूरी तरह समाप्त हो चुका था। - यह आंग्ल-भारतीय समुदाय की जनसंख्या में कमी और उनके मुख्यधारा में एकीकरण के कारण अब लागू नहीं होता।
उद्देश्य: अनुच्छेद 336 का उद्देश्य आंग्ल-भारतीय समुदाय को संविधान लागू होने के बाद एक संक्रमणकालीन अवधि के दौरान सरकारी सेवाओं में विशेष सुविधाएँ और आरक्षण प्रदान करना था। यह उन सेवाओं (डाक, रेलवे, आदि) में लागू था, जहाँ आंग्ल-भारतीय समुदाय का ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व था। इसका लक्ष्य सामाजिक समावेश, संक्रमणकालीन समर्थन, और संवैधानिक संतुलन को सुनिश्चित करना था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 336 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें आंग्ल-भारतीय समुदाय को कुछ सरकारी सेवाओं में विशेष स्थान प्राप्त था। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, आंग्ल-भारतीय समुदाय (ऐसे व्यक्ति जिनके पूर्वज ब्रिटिश या यूरोपीय और भारतीय मूल के थे) भारत में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण समुदाय था। ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें डाक, रेलवे, और अन्य सेवाओं में प्राथमिकता मिली थी।
अनुच्छेद 336 ने स्वतंत्रता के बाद एक संक्रमणकालीन व्यवस्था प्रदान की, ताकि आंग्ल-भारतीय समुदाय को अचानक नुकसान न हो।
समाप्ति: अनुच्छेद 336 के तहत विशेष सुविधाएँ 1950 से शुरू होकर 1960 तक (10 वर्षों में) पूरी तरह समाप्त हो गईं।
104वां संशोधन (2019) ने अनुच्छेद 331 और 333 के तहत आंग्ल-भारतीय नामांकन को भी समाप्त कर दिया, जिससे इस समुदाय के लिए विशेष उपबंध पूरी तरह अप्रासंगिक हो गए।
प्रासंगिकता (2025): अनुच्छेद 336 का अब कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है, लेकिन यह संविधान के ऐतिहासिक और समावेशी चरित्र को दर्शाता है।
अनुच्छेद 336 के प्रमुख तत्व
खंड (1): प्रारंभिक दो वर्ष: संविधान लागू होने के बाद पहले दो वर्षों (1950-1952) तक, आंग्ल-भारतीय समुदाय को डाक और टेलीग्राफ, रेलवे, सीमा शुल्क, और अन्य समान सेवाओं में वही सुविधाएँ और विशेषाधिकार प्राप्त थे, जो उन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान मिलते थे। उदाहरण: रेलवे में आंग्ल-भारतीय कर्मचारियों को प्राथमिकता।
खंड (2): क्रमिक समाप्ति: दो वर्षों के बाद (1952 से), ये सुविधाएँ हर दो वर्ष में 10% की दर से कम होती गईं, जब तक कि वे 1960 तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो गईं। यह एक संक्रमणकालीन व्यवस्था थी। उदाहरण: 1952-1960 के बीच आरक्षण की धीरे-धीरे समाप्ति।
न्यायिक समीक्षा: इन विशेष उपबंधों से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती थी। कोर्ट यह सुनिश्चित करता था कि ये उपबंध संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14 और 16) का पालन करें। उदाहरण: ऐतिहासिक रूप से आंग्ल-भारतीय आरक्षण पर कोर्ट की समीक्षा।
हत्व (ऐतिहासिक): सामाजिक समावेश: आंग्ल-भारतीय समुदाय का समर्थन। संक्रमणकालीन समर्थन: स्वतंत्रता के बाद समायोजन। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: उपबंधों की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आरक्षण: आंग्ल-भारतीय के लिए सेवाएँ। अवधि: 1950-1960। समाप्ति: 1960 में पूर्ण। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1952: आंग्ल-भारतीय के लिए पूर्ण आरक्षण। 1952-1960: क्रमिक समाप्ति। 2025 स्थिति: प्रावधान अप्रासंगिक।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 335: SC/ST के लिए सेवाएँ। अनुच्छेद 331: आंग्ल-भारतीय नामांकन (निरस्त)। अनुच्छेद 333: विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय नामांकन (निरस्त)। अनुच्छेद 366(2): आंग्ल-भारतीय की परिभाषा।
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jp Singh
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