Article 335 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:47:23
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 335
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 335
अनुच्छेद 335 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सेवाओं और पदों में दावे (Claims of Scheduled Castes and Scheduled Tribes to services and posts) से संबंधित है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि SC और ST समुदायों को सरकारी सेवाओं और पदों में नियुक्तियों के लिए उचित अवसर मिले, साथ ही प्रशासन की दक्षता को बनाए रखा जाए।
"अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावों को संघ या राज्यों की सेवाओं में नियुक्तियों और पदों के संबंध में विचार किया जाएगा, बशर्ते यह प्रशासन की दक्षता को बनाए रखने के लिए संगत हो।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 335 का उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) को सरकारी सेवाओं और पदों में समान अवसर प्रदान करना है, ताकि सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों का उत्थान हो। यह प्रशासनिक दक्षता के साथ सामाजिक न्याय को संतुलित करता है। इसका लक्ष्य सामाजिक समानता, लोकतांत्रिक समावेश, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 335 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने की संवैधानिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। संशोधन: 82वां संशोधन (2000): इसने अनुच्छेद 335 में एक परंतुक जोड़ा, जो SC/ST के लिए प्रोन्नति में आरक्षण की अनुमति देता है, भले ही वे कुछ योग्यता मानदंडों को पूरी तरह से पूरा न करें।
यह नागराज बनाम भारत संघ (2006) जैसे मामलों में उठे विवादों को संबोधित करने के लिए था। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत ने SC/ST समुदायों को सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण नीति अपनाई। अनुच्छेद 335 ने इसे संवैधानिक आधार दिया। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान SC/ST के लिए नौकरियों और प्रोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से डिजिटल प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में।
अनुच्छेद 335 के प्रमुख तत्व
SC/ST के लिए अवसर: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावों को संघ (केंद्र) और राज्यों की सेवाओं में नियुक्तियों और पदों के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। यह आरक्षण नीति के माध्यम से लागू होता है। उदाहरण: UPSC और SSC भर्तियों में SC/ST के लिए आरक्षित सीटें।
प्रशासनिक दक्षता: आरक्षण प्रदान करते समय प्रशासन की दक्षता को बनाए रखना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि योग्यता और कार्यक्षमता पर समझौता न हो। उदाहरण: न्यूनतम योग्यता मानदंडों का पालन।
82वां संशोधन (2000): इस संशोधन ने SC/ST के लिए प्रोन्नति में आरक्षण को सक्षम किया, भले ही वे वरिष्ठता या अन्य मानदंडों में कमी रखते हों, बशर्ते उनके पास न्यूनतम योग्यता हो। उदाहरण: सरकारी सेवाओं में SC/ST अधिकारियों की प्रोन्नति।
न्यायिक समीक्षा: आरक्षण और प्रोन्नति से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि आरक्षण संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14 और 16) का पालन करता हो। उदाहरण: नागराज बनाम भारत संघ (2006) में प्रोन्नति आरक्षण की समीक्षा।
महत्व: सामाजिक न्याय: वंचित समुदायों का उत्थान। लोकतांत्रिक समावेश: SC/ST का प्रशासन में प्रतिनिधित्व। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में एकरूपता। न्यायिक समीक्षा: आरक्षण की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आरक्षण: SC/ST के लिए नौकरियाँ और प्रोन्नति। संतुलन: प्रशासनिक दक्षता। संशोधन: 82वां संशोधन। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960: SC/ST के लिए प्रारंभिक आरक्षण नीतियाँ। 2000: 82वां संशोधन द्वारा प्रोन्नति में आरक्षण। 2025 स्थिति: डिजिटल और तकनीकी क्षेत्रों में SC/ST आरक्षण।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 16: सेवाओं में समानता। अनुच्छेद 330: लोकसभा में SC/ST आरक्षण। अनुच्छेद 332: विधानसभाओं में SC/ST आरक्षण। अनुच्छेद 341-342: SC/ST की अधिसूचना।
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jp Singh
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