Article 334 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:45:40
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 334
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 334
अनुच्छेद 334 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए आरक्षण और नामांकन की अवधि (Reservation of seats and special representation to cease after a certain period) से संबंधित है। यह प्रावधान इन विशेष उपबंधों की समय-सीमा निर्धारित करता है।
"इस संविधान के लागू होने के बाद 80 वर्ष की अवधि समाप्त होने पर, अनुच्छेद 330, 332, 333, और 331 के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए सीटों का आरक्षण और नामांकन समाप्त हो जाएगा, जब तक कि संसद कानून द्वारा इसे और विस्तार न दे।"
वर्तमान स्थिति (2025): - 104वें संशोधन (2019) ने आंग्ल-भारतीय नामांकन को समाप्त कर दिया। - SC/ST के लिए आरक्षण को 104वें संशोधन द्वारा 25 जनवरी 2030 तक बढ़ा दिया गया है।
उद्देश्य: अनुच्छेद 334 का उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और (पूर्व में) आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण और नामांकन की व्यवस्था को एक निश्चित समय-सीमा तक सीमित करना है। यह सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को अस्थायी रूप से विशेष प्रतिनिधित्व प्रदान करता है, ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें। इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक समावेश, और संवैधानिक संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 334 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। मूल रूप से, SC/ST और आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए आरक्षण और नामांकन की अवधि 10 वर्ष (1960 तक) निर्धारित थी। संशोधन: समय-समय पर संवैधानिक संशोधनों ने इस अवधि को बढ़ाया
8वां संशोधन (1959): 1960 से 1970 तक।
23वां संशोधन (1969): 1970 से 1980 तक।
45वां संशोधन (1980): 1980 से 1990 तक।
79वां संशोधन (1999): 1990 से 2020 तक।
104वां संशोधन (2019): 2020 से 2030 तक (केवल SC/ST के लिए; आंग्ल-भारतीय नामांकन समाप्त)।
भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत ने सामाजिक रूप से वंचित समुदायों (SC/ST) को मुख्यधारा में लाने के लिए अस्थायी आरक्षण नीति अपनाई। आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए नामांकन भी इसी उद्देश्य से था।
104वां संशोधन (2019): आंग्ल-भारतीय समुदाय की जनसंख्या में कमी और उनके मुख्यधारा में एकीकरण के कारण नामांकन समाप्त किया गया।
प्रासंगिकता (2025): अनुच्छेद 334 SC/ST के लिए आरक्षण की समय-सीमा को नियंत्रित करता है, जो 2030 तक लागू है। यह सामाजिक समावेश और प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 334 के प्रमुख तत्व
समय-सीमा: अनुच्छेद 330 (लोकसभा में SC/ST आरक्षण), 332 (विधानसभाओं में SC/ST आरक्षण), 331 (लोकसभा में आंग्ल-भारतीय नामांकन, अब निरस्त), और 333 (विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय नामांकन, अब निरस्त) के तहत विशेष उपबंध 80 वर्ष (2030 तक) के बाद समाप्त हो जाएँगे, जब तक कि संसद इसे और न बढ़ाए। उदाहरण: SC/ST के लिए आरक्षण 2030 तक लागू।
संसद की शक्ति: संसद कानून द्वारा इस अवधि को और बढ़ा सकती है। उदाहरण: 104वां संशोधन द्वारा 2030 तक विस्तार।
आंग्ल-भारतीय नामांकन का अंत: 104वें संशोधन (2019) ने अनुच्छेद 331 और 333 के तहत आंग्ल-भारतीय नामांकन को समाप्त किया। कारण: आंग्ल-भारतीय समुदाय की जनसंख्या में कमी और मुख्यधारा में एकीकरण।
न्यायिक समीक्षा: आरक्षण और नामांकन की समय-सीमा से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि ये उपबंध संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करें। उदाहरण: आरक्षण की अवधि पर कोर्ट की समीक्षा।
महत्व: सामाजिक न्याय: वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व। लोकतांत्रिक समावेश: SC/ST की आवाज संसद और विधानसभाओं में। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में संतुलन। न्यायिक समीक्षा: आरक्षण की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आरक्षण: SC/ST के लिए। समय-सीमा: 2030 तक। नामांकन: आंग्ल-भारतीय (निरस्त)। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960: प्रथम आरक्षण और नामांकन। 2019: 104वां संशोधन द्वारा आंग्ल-भारतीय नामांकन समाप्त। 2025 स्थिति: SC/ST आरक्षण 2030 तक।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 330: लोकसभा में SC/ST आरक्षण। अनुच्छेद 331: आंग्ल-भारतीय नामांकन (निरस्त)। अनुच्छेद 332: विधानसभाओं में SC/ST आरक्षण। अनुच्छेद 333: विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय नामांकन (निरस्त)।
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