Article 330 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:33:12
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 330
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 330
अनुच्छेद 330 भारतीय संविधान के भाग XVI (कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध) में आता है। यह लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the House of the People) से संबंधित है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों को लोकसभा में उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिले।
"(1) लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित होंगी।
(2) प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों की संख्या उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगी।
(3) इस अनुच्छेद के तहत आरक्षण संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 330 का उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) को लोकसभा में उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करना है। यह सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों के लिए सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक समावेश, सामाजिक समानता, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 330 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें कुछ समुदायों के लिए सीटों का आरक्षण था, लेकिन SC/ST पर विशेष ध्यान नहीं था। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत ने सामाजिक रूप से वंचित समुदायों (SC/ST) को मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण नीति अपनाई। अनुच्छेद 330 ने इसे संवैधानिक आधार दिया।
संशोधन: 8वां संशोधन (1959), 23वां संशोधन (1969), 45वां संशोधन (1980), 79वां संशोधन (1999), और 104वां संशोधन (2019) ने SC/ST के लिए आरक्षण की अवधि को बढ़ाया। वर्तमान में, यह आरक्षण 2030 तक लागू है। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान SC/ST समुदायों के लिए लोकसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 330 के प्रमुख तत्व
खंड (1): सीटों का आरक्षण: लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित होंगी। यह सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों से अलग विशेष निर्वाचन क्षेत्रों में होता है। उदाहरण: 2024 लोकसभा चुनाव में SC के लिए 84 और ST के लिए 47 सीटें।
खंड (2): जनसंख्या के अनुपात में: प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में SC/ST के लिए सीटों की संख्या उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगी। यह परिसीमन आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में SC की जनसंख्या के आधार पर आरक्षित सीटें।
खंड (3): संसद का कानून: आरक्षण की प्रक्रिया और विवरण संसद द्वारा बनाए गए कानून (जैसे, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950) के अनुसार होंगे। उदाहरण: परिसीमन अधिनियम, 2002।
न्यायिक समीक्षा: आरक्षण से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि आरक्षण संवैधानिक सिद्धांतों (जैसे, अनुच्छेद 14) का पालन करता हो। उदाहरण: परिसीमन या आरक्षण नीति पर कोर्ट की समीक्षा।
महत्व: सामाजिक न्याय: वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व। लोकतांत्रिक समावेश: SC/ST की आवाज संसद में। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में एकरूपता। न्यायिक समीक्षा: आरक्षण की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आरक्षण: SC/ST के लिए सीटें। अनुपात: जनसंख्या आधारित। कानून: संसद द्वारा नियमन। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1951-52: पहला आम चुनाव, SC/ST के लिए सीटें आरक्षित। 2002: परिसीमन आयोग द्वारा SC/ST सीटों का पुनर्निर्धारण। 2025 स्थिति: 2030 तक आरक्षण की निरंतरता।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 331: राष्ट्रपति द्वारा नामांकन। अनुच्छेद 332: विधानसभाओं में SC/ST आरक्षण। अनुच्छेद 341-342: SC/ST की अधिसूचना। अनुच्छेद 324: निर्वाचन आयोग।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781