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Article 326 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 17:24:27
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326
अनुच्छेद 326 भारतीय संविधान के भाग XV (चुनाव) में आता है। यह वयस्क मताधिकार (Elections to the House of the People and to the Legislative Assemblies of States to be on the basis of adult suffrage) से संबंधित है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक बिना किसी भेदभाव के मतदान कर सकें।
"लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे; अर्थात्, प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और जो 18 वर्ष से कम आयु का नहीं है, वह मतदाता के रूप में पंजीकरण का हकदार होगा, बशर्ते वह पागलपन, अपराध, या अन्य कानूनी अयोग्यता के कारण अपात्र न हो।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 326 का उद्देश्य भारत में वयस्क मताधिकार की व्यवस्था स्थापित करना है, जिसके तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक मतदान के लिए पात्र हों। यह सुनिश्चित करता है कि मतदान का अधिकार धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, या अन्य भेदभाव के बिना सभी को मिले। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक समानता, सामाजिक समावेश, और संवैधानिक मूल्यों (जैसे, अनुच्छेद 14 की समानता) को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 326 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 के विपरीत था, जिसमें मतदान का अधिकार सीमित था (जैसे, संपत्ति, शिक्षा आधारित)।
भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत ने वयस्क मताधिकार को अपनाकर समावेशी लोकतंत्र की नींव रखी, जो सामाजिक और आर्थिक विविधता वाले देश के लिए क्रांतिकारी था। 61वां संवैधानिक संशोधन (1988): मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान युवा मतदाताओं (18-25 वर्ष) की भागीदारी और डिजिटल मतदान प्रणाली के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 326 के प्रमुख तत्व
वयस्क मताधिकार: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे। प्रत्येक व्यक्ति, जो: भारत का नागरिक हो, 18 वर्ष से अधिक आयु का हो, सामान्य रूप से मतदाता के रूप में पंजीकरण का हकदार है। उदाहरण: 2024 लोकसभा चुनाव में 18+ युवा मतदाताओं की भागीदारी।
अपवाद (अयोग्यता): कोई व्यक्ति मतदान के लिए अपात्र हो सकता है, यदि वह: पागलपन (मानसिक अक्षमता) से ग्रस्त हो। अपराध के लिए दोषी हो (जैसे, कुछ आपराधिक सजा के मामले में)। कानूनी अयोग्यता (जैसे, गैर-नागरिकता) के अधीन हो। उदाहरण: दोषी अपराधी का मतदान अधिकार निलंबन।
न्यायिक समीक्षा: मतदान अधिकार से संबंधित निर्णयों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया संवैधानिक और निष्पक्ष हो। उदाहरण: मतदान अधिकार के उल्लंघन पर कोर्ट का हस्तक्षेप।
महत्व: लोकतांत्रिक समानता: सभी नागरिकों को समान मतदान अधिकार। सामाजिक समावेश: भेदभाव के बिना मतदान। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों में एकरूपता। न्यायिक समीक्षा: प्रक्रिया की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: वयस्क मताधिकार: 18+ नागरिकों का अधिकार। समानता: भेदभाव पर रोक। अपवाद: पागलपन, अपराध, कानूनी अयोग्यता। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1951-52: भारत का पहला आम चुनाव, वयस्क मताधिकार के साथ। 1988: 61वां संशोधन, मतदान आयु 18 वर्ष। 2025 स्थिति: डिजिटल मतदाता पंजीकरण और युवा भागीदारी।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 324: निर्वाचन आयोग। अनुच्छेद 325: मतदाता सूची में समानता। अनुच्छेद 327: संसद की शक्ति। अनुच्छेद 329: चुनावी मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप।
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