Article 323A of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:14:13
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 323A
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 323A
अनुच्छेद 323A भारतीय संविधान के भाग XIV-A (न्यायाधिकरण) में आता है। यह प्रशासकीय न्यायाधिकरण (Administrative Tribunals) की स्थापना से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को केंद्र और राज्यों के अधीन सिविल सेवाओं और कर्मचारियों से संबंधित विवादों और शिकायतों के लिए प्रशासकीय न्यायाधिकरण स्थापित करने की शक्ति देता है।
"(1) संसद, कानून द्वारा, संघ या किसी राज्य के अधीन सेवाओं और पदों से संबंधित व्यक्तियों की भर्ती, सेवा शर्तों, और अनुशासनात्मक मामलों से संबंधित विवादों और शिकायतों के लिए प्रशासकीय न्यायाधिकरण स्थापित कर सकती है।
(2) ऐसा कानून निम्नलिखित को प्रदान कर सकता है:
(ख) ऐसे विवादों पर उच्च न्यायालयों की क्षेत्राधिकार को छोड़कर।
(ग) अन्य आवश्यक उपबंध।
(3) इस अनुच्छेद के तहत बनाया गया कानून संविधान के किसी अन्य प्रावधान को प्रभावित नहीं करेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 323A का उद्देश्य प्रशासकीय न्यायाधिकरण स्थापित करना है ताकि सिविल सेवकों और सरकारी कर्मचारियों के सेवा-संबंधी विवादों (जैसे, भर्ती, पदोन्नति, बर्खास्तगी) को तेजी से और विशेषज्ञता के साथ निपटाया जा सके। यह न्यायालयों पर बोझ कम करता है और विशेषज्ञता आधारित समाधान प्रदान करता है। इसका लक्ष्य प्रशासनिक दक्षता, न्याय की गति, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 323A को 42वें संवैधानिक संशोधन (1976) द्वारा जोड़ा गया। यह स्वर्ण सिंह समिति (1976) की सिफारिशों पर आधारित था, जिसने सेवा विवादों के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की आवश्यकता बताई। भारतीय संदर्भ: 1970 के दशक में, सेवा-संबंधी मामलों में उच्च न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा था। अनुच्छेद 323A ने प्रशासकीय न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 के माध्यम से केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (CAT) और राज्य-स्तरीय न्यायाधिकरणों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान सिविल सेवकों (IAS, IPS, PCS) और डिजिटल प्रशासन से संबंधित कर्मचारियों के सेवा विवादों को निपटाने के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 323A के प्रमुख तत्व
खंड (1): न्यायाधिकरण की स्थापना: संसद कानून बनाकर प्रशासकीय न्यायाधिकरण स्थापित कर सकती है। ये न्यायाधिकरण संघ और राज्यों के अधीन कर्मचारियों के सेवा-संबंधी विवादों (भर्ती, पदोन्नति, अनुशासन) और शिकायतों को निपटाते हैं। उदाहरण: केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (CAT) द्वारा IAS बर्खास्तगी विवाद का समाधान।
खंड (2): कानून के उपबंध: संसद द्वारा बनाया गया कानून निम्नलिखित को निर्धारित कर सकता है: संरचना: न्यायाधिकरण के अध्यक्ष, सदस्य, और कर्मचारी। शक्तियाँ और प्रक्रियाएँ: विवादों के निपटारे की प्रक्रिया। उच्च न्यायालयों का क्षेत्राधिकार: सेवा विवादों में उच्च न्यायालयों की क्षेत्राधिकार को हटाना। उदाहरण: प्रशासकीय न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985।
खंड (3): संवैधानिक अधीनता: इस अनुच्छेद के तहत बनाए गए कानून संविधान के अन्य प्रावधानों (जैसे, अनुच्छेद 14, 226) को प्रभावित नहीं करेंगे। उदाहरण: CAT के निर्णय की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय की शक्ति।
न्यायिक समीक्षा: न्यायाधिकरणों के निर्णय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जा सकते हैं, लेकिन उच्च न्यायालयों की क्षेत्राधिकार सीमित होती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय संवैधानिक और निष्पक्ष हों। उदाहरण: CAT के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय में अपील।
महत्व: न्याय की गति: सेवा विवादों का तेजी से निपटारा। विशेषज्ञता: प्रशासकीय मामलों में विशेषज्ञ निर्णय। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन। न्यायिक समीक्षा: निर्णयों की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: स्थापना: प्रशासकीय न्यायाधिकरण। कार्य: सेवा विवादों का निपटारा। क्षेत्राधिकार: उच्च न्यायालयों को छोड़कर। न्यायिक निगरानी: उच्चतम न्यायालय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1985: प्रशासकीय न्यायाधिकरण अधिनियम द्वारा CAT की स्थापना। 2000 के दशक: CAT द्वारा सेवा विवादों का निपटारा। 2025 स्थिति: डिजिटल प्रशासन कर्मचारियों के विवाद।
चुनौतियाँ और विवाद: क्षेत्राधिकार: उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधिकार पर बहस। दक्षता: मामलों में देरी के आरोप। न्यायिक समीक्षा: CAT निर्णयों पर उच्चतम न्यायालय की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 323B: अन्य न्यायाधिकरण। अनुच्छेद 315: लोक सेवा आयोग की स्थापना। अनुच्छेद 316: सदस्यों की नियुक्ति। अनुच्छेद 320: आयोग के कार्य।
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jp Singh
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