Article 322 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 17:11:47
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 322
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 322
अनुच्छेद 322 भारतीय संविधान के भाग XIV (संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ) में आता है। यह लोक सेवा आयोगों के खर्चों (Expenses of Public Service Commissions) से संबंधित है। यह प्रावधान संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के खर्चों को संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा वहन करने और उनके बजट को संवैधानिक रूप से संरक्षित करने की व्यवस्था करता है।
"संघ लोक सेवा आयोग या संयुक्त लोक सेवा आयोग के खर्च, जिसमें अध्यक्ष, सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे, और किसी राज्य लोक सेवा आयोग के खर्च उस राज्य की संचित निधि पर भारित होंगे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 322 का उद्देश्य UPSC और SPSC के खर्चों को भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) और राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund of the State) से वहन करने की व्यवस्था करना है। यह सुनिश्चित करता है कि आयोगों के संचालन के लिए वित्तीय स्वतंत्रता बनी रहे, जिससे उनकी निष्पक्षता और स्वायत्तता प्रभावित न हो। इसका लक्ष्य प्रशासनिक स्वायत्तता, वित्तीय स्थिरता, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 322 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें पब्लिक सर्विस कमीशन के खर्चों के लिए समान व्यवस्था थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, लोक सेवा आयोगों को वित्तीय रूप से स्वतंत्र और स्थिर बनाने की आवश्यकता थी ताकि वे बिना किसी बाधा के कार्य कर सकें। अनुच्छेद 322 ने इसे संवैधानिक आधार दिया।
प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान UPSC और SPSC की वित्तीय स्वतंत्रता को बनाए रखने और सिविल सेवा भर्ती (जैसे, IAS, IPS, PCS) में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 322 के प्रमुख तत्व
UPSC के खर्च: संघ लोक सेवा आयोग और संयुक्त लोक सेवा आयोग के खर्च, जैसे: अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन और भत्ते। कर्मचारियों के वेतन और पेंशन। अन्य प्रशासनिक खर्च (परीक्षा आयोजन, कार्यालय आदि)। ये खर्च भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। उदाहरण: UPSC द्वारा सिविल सेवा परीक्षा 2025 का बजट।
SPSC के खर्च: राज्य लोक सेवा आयोग के खर्च, जैसे वेतन, भत्ते, और प्रशासनिक लागत। ये खर्च संबंधित राज्य की संचित निधि पर भारित होते हैं। उदाहरण: UPPSC द्वारा PCS भर्ती के लिए खर्च।
संचित निधि का महत्व: संचित निधि पर भारित खर्च विधानमंडल की पूर्व स्वीकृति के बिना खर्च किए जा सकते हैं, जो आयोगों की वित्तीय स्वायत्तता को सुनिश्चित करता है। यह राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाता है। उदाहरण: UPSC के बजट को संसद की वार्षिक स्वीकृति की आवश्यकता नहीं।
न्यायिक समीक्षा: खर्चों से संबंधित निर्णयों को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हों। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि खर्च संवैधानिक और निष्पक्ष हों। उदाहरण: अनुचित बजट आवंटन पर कोर्ट का निर्णय।
महत्व: वित्तीय स्वायत्तता: आयोगों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता। प्रशासनिक दक्षता: भर्ती और कार्यों के लिए स्थिर वित्त। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन। न्यायिक समीक्षा: खर्चों की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: खर्च: वेतन, भत्ते, पेंशन। संचित निधि: वित्तीय स्वायत्तता। प्राधिकारी: संसद/राज्य विधानमंडल। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: UPSC/SPSC के लिए बजट स्थापना। 2000 के दशक: SPSC के खर्चों में वृद्धि। 2025 स्थिति: डिजिटल भर्ती और साइबर सुरक्षा के लिए बजट।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 315: लोक सेवा आयोग की स्थापना। अनुच्छेद 316: सदस्यों की नियुक्ति। अनुच्छेद 317: बर्खास्तगी और निलंबन। अनुच्छेद 320: आयोग के कार्य।
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