Article 315 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 16:43:52
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 315
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 315
अनुच्छेद 315 भारतीय संविधान के भाग XIV (संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ) में आता है। यह संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions for the Union and for the States) से संबंधित है। यह प्रावधान संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और प्रत्येक राज्य के लिए राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) की स्थापना और उनके कार्यों को नियंत्रित करता है।
"(1) संघ के लिए एक संघ लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्य लोक सेवा आयोग होगा।
(2) दो या अधिक राज्यों के लिए, उनके अनुरोध पर और संसद के कानून द्वारा, एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग स्थापित किया जा सकता है।
(3) संसद, कानून द्वारा, केंद्रशासित प्रदेशों के लिए लोक सेवा आयोग के सृजन और कार्यों को विनियमित कर सकती है।
(4) राष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श से, किसी राज्य में उसकी सहमति से, राज्य लोक सेवा आयोग के कार्यों को संघ लोक सेवा आयोग को सौंप सकते हैं।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 315 का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) की स्थापना करना है, जो सिविल सेवाओं (जैसे, IAS, IPS, राज्य सिविल सेवाएँ) की भर्ती और नियुक्ति प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाएँ। यह सुनिश्चित करता है कि सिविल सेवाओं में भर्ती योग्यता, निष्पक्षता, और पारदर्शिता के आधार पर हो। इसका लक्ष्य प्रशासनिक दक्षता, निष्पक्ष भर्ती, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संतुलन को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 315 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 (धारा 264) से प्रेरित था, जिसमें फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन की व्यवस्था थी।
भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष भर्ती प्रणाली की आवश्यकता थी ताकि सिविल सेवाएँ योग्यता पर आधारित हों। अनुच्छेद 315 ने UPSC और SPSC को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान UPSC (IAS, IPS, IFS भर्ती) और SPSC (राज्य सिविल सेवाएँ) के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से डिजिटल प्रशासन और साइबर सुरक्षा जैसे नए क्षेत्रों में भर्ती के लिए।
अनुच्छेद 315 के प्रमुख तत्व: खंड (1): UPSC और SPSC की स्थापना: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): केंद्र सरकार की सिविल सेवाओं (जैसे, IAS, IPS, IFS) की भर्ती के लिए। राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC): प्रत्येक राज्य की सिविल सेवाओं के लिए। उदाहरण: UPSC द्वारा सिविल सेवा परीक्षा 2025। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा PCS भर्ती।
खंड (2): संयुक्त लोक सेवा आयोग: दो या अधिक राज्यों के अनुरोध पर, संसद कानून बनाकर एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग स्थापित कर सकती है। यह छोटे राज्यों के लिए संसाधनों का समन्वय करता है। उदाहरण: पूर्वोत्तर राज्यों के लिए संयुक्त आयोग।
खंड (3): केंद्रशासित प्रदेश: संसद कानून द्वारा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए लोक सेवा आयोग स्थापित कर सकती है। उदाहरण: दिल्ली के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया।
खंड (4): UPSC द्वारा SPSC के कार्य: राष्ट्रपति, राज्य की सहमति से, SPSC के कुछ कार्यों को UPSC को सौंप सकते हैं। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। उदाहरण: छोटे राज्यों में UPSC द्वारा भर्ती।
न्यायिक समीक्षा: लोक सेवा आयोगों के निर्णय (जैसे, भर्ती प्रक्रिया, परिणाम) को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि भर्ती निष्पक्ष और संवैधानिक हो। उदाहरण: UPSC परीक्षा में अनियमितता पर कोर्ट का निर्णय।
महत्व: निष्पक्ष भर्ती: योग्यता और पारदर्शिता पर आधारित सिविल सेवा भर्ती। प्रशासनिक दक्षता: सक्षम कर्मचारियों का चयन। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन। न्यायिक समीक्षा: भर्ती प्रक्रिया की वैधता पर निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: UPSC/SPSC: भर्ती के लिए आयोग। संयुक्त आयोग: राज्यों के लिए। कानूनी ढांचा: संसद की शक्ति। न्यायिक निगरानी: प्रक्रिया की वैधता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: UPSC द्वारा IAS/IPS भर्ती। 2000 के दशक: SPSC द्वारा राज्य सेवाओं की भर्ती। 2025 स्थिति: डिजिटल प्रशासन और साइबर सुरक्षा के लिए भर्ती।
चुनौतियाँ और विवाद: भर्ती में अनियमितताएँ: पेपर लीक और पक्षपात के आरोप। केंद्र-राज्य विवाद: भर्ती प्रक्रिया पर असहमति। न्यायिक समीक्षा: प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 308: "राज्य" की परिभाषा। अनुच्छेद 309: भर्ती और सेवा शर्तें। अनुच्छेद 310: सेवा की अवधि। अनुच्छेद 311: बर्खास्तगी पर सुरक्षा।
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jp Singh
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